- मिलन सिन्हा
'मामा जी , साक्षात्कार से पहले अगर आप कौल साहब से जरा कह दें तो मेरी नौकरी हो ही जायेगी। मुझे मालूम है कि वे आपके अच्छे मित्र हैं। वे आपकी बात कभी नहीं काटेंगे। कुछ रुक कर उसने फिर कहा, मुझे लिखित परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त हुए हैं, मैंने पता कर लिया है। पर, साक्षात्कार में बिना सिफारिश के ....'
मामा जी कुछ देर तक चुप रहे। फिर, धीरे से बोले, ' अच्छा, एक बात बताओ। अगर कोई जीवन भर भीख की कमाई खाये , तो तुम्हे कैसा लगेगा ?
'नहीं, मैं यह हरगिज नहीं चाहूँगा कि किसी को ऐसा दिन भी देखना पड़े' - उसने दृढ़ता के साथ कहा।
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