- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट
नशे के शिकार विद्यार्थियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है. नशे के अवैध व्यवसाय में संलिप्त लोगों और अपराधी तत्वों के लिए स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी सॉफ्ट टारगेट हैं. देश को आर्थिक, सामजिक, शैक्षणिक और सामरिक दृष्टि से कमजोर करना भी उनके एजेंडा में शामिल है. यह बहुत चिंता का विषय है. हाल ही में मुंबई में नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो ने छापेमारी करके जिस तरह कुछ युवक-युवतियों को पकड़ा है और उनके पास से जो जानकारी मिल रही है, उससे इस भयानक संक्रमण के बढ़ते दायरे का अनुमान लगाया जा सकता है. बताते चलें कि नशीला पदार्थ विद्यार्थियों के शारीरिक तथा मानसिक स्थिति को बहुत दुष्प्रभावित करता है. आमतौर पर इसकी शुरूआत मौजमस्ती, उत्सुकता, मजबूरी या प्रलोभन, दोस्तों के दबाव या बहकावे जैसे एकाधिक कारणों से होती है, जो धीरे-धीरे आदत में बदलने के बाद व्यक्ति इसका आदी हो जाता है. आंकड़े बताते हैं कि चरस, गांजा, अफीम, कोकीन, हेरोइन जैसे खतरनाक नशीली चीजों के सेवन से लाखों विद्यार्थियों की जिंदगी बर्बाद हो रही है. इसी सन्दर्भ में आइए आज उन अहम बिन्दुओं पर चर्चा करते हैं जिससे छात्र-छात्राएं नशीले पदार्थों के सेवन से बचे रह सकें.
किसी भी प्रलोभन में न पड़ें. अधिकतर मामलों में यह पाया गया है कि छात्र-छात्राएं किसी-न-किसी प्रलोभन के चक्कर में नशे का शिकार होते हैं. प्रलोभन आर्थिक सहित कुछ भी हो सकता है. प्रलोभन देनेवाला व्यक्ति विद्यार्थी विशेष की मजबूरी और कमजोरी का आकलन कर उसे अपने जाल में आसानी से फंसाता है. यह व्यक्ति आपका कोई दोस्त, सहपाठी या परिचित हो सकता है. अतः इस पर विचार करना अनिवार्य है कि कोई यूँ ही रुपया-पैसा या अन्य प्रलोभन क्यों दे रहा है?
क्षणिक मौज-मस्ती के लिए अपने भविष्य को दांव पर न लगाएं. आजकल रात में दोस्तों के साथ पार्टी में जाना कोई अनहोनी बात नहीं रह गई है. पहली बार इन पार्टियों में जानेवाले विद्यार्थियों पर अपराधी तत्वों की पैनी नजर रहती है और उनकी यह कोशिश होती है कि किसी तरह उन्हें नशीले पदार्थ का सेवन करवाया जाय, बेशक मुफ्त में ही सही. सिगरेट, गांजा, बीयर, शराब आदि आम नशीले पदार्थों से शुरुआत होती है और एक बार जब नशा न करने का बंधन टूट जाता है तो फिर आगे नशे की अंधेरी सुरंग में विचरण में कोई संकोच नहीं रहता है. शातिर अपराधी तत्व इन अवसरों का विडियोग्राफी कर लेते है और जरुरत पड़ने पर ब्लैकमेलिंग के लिए उसका बखूबी इस्तेमाल करते हैं. लिहाजा ऐसे मौज-मस्तीवाले पार्टी और ऐसे दोस्तों से बराबर दूर रहें.
अध्ययन पर पूरा फोकस बनाए रखें. आजकल पढ़ाई का इतना प्रेशर होता है कि अगर कोई भी विद्यार्थी अपने अध्ययन के लक्ष्य को सामने रखकर आगे बढ़े तो मौज-मस्ती और नशाखोरी की ओर उसका ध्यान कतई नहीं जा सकता है. उसके लिए तो अच्छी तरह पढ़ना किसी नशे से कम नहीं होता. खुद को इस कार्य में संलग्न रखने के लिए वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने की कोशिश करता है. इसके लिए वह पौष्टिक खानपान और व्यायाम के प्रति भी गंभीर रहता है.
बराबर घरवालों के संपर्क में रहें. कई सर्वेक्षणों में यह बात उभर कर आई है कि भावनात्मक रूप से परिवारजनों से जुड़े रहनेवाले विद्यार्थी अपेक्षाकृत कम संख्या में नशे के शिकार होते है. एकाकीपन और घर-परिवार से दुराव की भावना नशे की ओर किसी-न-किसी रूप से प्रेरित करती है, ऐसा देखने में आता है. अपने घर से दूर दूसरे शहर और वह भी हॉस्टल में रहकर पढ़नेवाले विद्यार्थियों को पर्व-त्यौहार और लम्बी छुट्टियों में घर जरुर जाना चाहिए, जिससे कि उन्हें रिश्तों की महत्ता की अनुभूति हो और वे खुशी के पलों को भरपूर जी सकें.
भूल-चूक हो जाए तो तुरत स्वीकार कर सही रास्ते पर चलना शुरू करें. सावधानी बरतने के बावजूद भी कोई दुर्घटना हो जाए और आप नशा करने लगें, तो उस चक्कर से यथाशीघ्र निकलें. इसमें किसी दोस्त से कुछ पूछने या खुद किसी दुविधा में रहने की कोई जरुरत नहीं है. बेहतर यह होगा कि तुरत घर जाएं और अपने अभिभावक से सब कुछ साफ-साफ बता दें. वे नाराज हों या गुस्सा करें तो सब कुछ सहन करें और उनके सुझाए रास्ते पर चलें. पीछे मुड़कर देखने और उस आत्मघाती मार्ग पर लौटने की बात सोचना भी गलत होगा. जीवन से बड़ा कुछ भी नहीं होता. नशे की लत क्षणिक मजा दे सकता है, लेकिन यह जीवन को नरक बनाने का अहम जरिया है.
(hellomilansinha@gmail.com)
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