Friday, April 3, 2020

नई राहें: बनना चाहते हैं टीम लीडर?

                                       - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर, वेलनेस कंसलटेंट ... ...
खेल का मैदान हो या ऑफिस या फैक्ट्री, हर व्यक्ति की स्वाभाविक चाहत होती है कि उसे टीम लीडर का पोजीशन मिले. मन में कितनी ही बातें और योजनाएं होती हैं. इस समय यह ठीक नहीं है, वह ठीक नहीं है, यहां ऐसा होता तो अच्छा होता, वहां यह चेंज किया जाता तो कितना बढ़िया होता, काश मैं उनकी जगह होता तो सब कुछ परफेक्ट होता इत्यादि.  जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा रखनेवाले अधिकांश लोगों की मानसिकता कमोबेश ऐसी ही होती है. लेकिन क्या सिर्फ इच्छा रखने भर से जो चाहा वह मिल जाता है और अगर संयोगवश मिल भी जाता है तो क्या उस जिम्मेदारी को निभाना उतना ही आसान होता है? सच यह है कि अपवाद को छोड़ दें तो सिर्फ इच्छा करने से इच्छित मुकाम नहीं मिलता है. उसके लिए यथोचित प्रयास करते रहना पड़ता है. फिर वह  पोजीशन मिल जाने पर भी आगे उस जिम्मेदारी को बखूबी निभाने के लिए कई बातों को साधकर चलना पड़ता है. अगर टीम लीडर की बात करें तो अगर आपको वह पद मिल जाता है तो आगे किन-किन बातों में पारंगत होने और उसे अमल में लाने की जरुरत होगी, आइए जानने का प्रयास करते हैं.

अपने रोल को जानें : आप जहां भी काम कर रहे हैं, उसके विषय में अपटूडेट सब जानकारी आपके पास हो. मसलन, अगर आप मोबाइल कंपनी के सेल्स फील्ड में हैं तो अपनी कंपनी के सेल्स पालिसी से लेकर आपके वार्षिक, तिमाही, मासिक एवं साप्ताहिक सेल्स टारगेट से आप पूर्णतः अवगत हों. अपने टारगेट को नियत समय के भीतर पूरा ही नहीं, बल्कि उससे ज्यादा हासिल करने की आपकी कार्ययोजना और उसपर अमल करने का रोडमैप बिलकुल क्लियर हो. इसके प्रति सजग रहें कि आपसे आपके सीनियर्स और जूनियर्स की क्या-क्या अपेक्षाएं हैं. यह जानकार और मानकर काम करें कि प्लान करके चलने, डेलिगेट करने और सबसे काम लेने में दक्ष होने का आपके परफॉरमेंस से सीधा और गहरा रिश्ता होता है. 

अपने टीम के सदस्यों के बारे में जानें : आपकी टीम छोटी है या बड़ी, सब एक लोकेशन पर हैं या अलग-अलग लोकेशन पर, इसे ध्यान में रखकर काम करना लाजिमी है. जो भी स्थिति हो, आपको टीम के सारे मेंबर्स, छोटे-बड़े सब पोजीशन वाले, का नाम और काम मालूम हो तो बेहतर. टीम छोटी हो तो टीम के सभी सदस्यों की पूरी प्रोफाइल - फैमिली बैकग्राउंड से लेकर प्रोफेशनल, एजुकेशनल बैकग्राउंड तक, हो सके तो हॉबी आदि के विषय में भी जानकारी रखनी चाहिए. इससे उनके साथ प्रोफेशनल और इमोशनल रूप से जुड़े रहने के कॉमन पॉइंट्स मिल जाते हैं. इतना ही नहीं, टीम में कौन किस फील्ड में ज्यादा दक्ष है और कौन थोड़ा कम, कौन एक्स्ट्रा टाइम काम कर सकता है और कौन चाहकर भी कई जायज कारणों से  नहीं कर सकता है, इसकी जानकारी होने और जरुरत पड़ने पर इसका उपयोग करने से नियत समय से पहले लक्ष्य तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होती है. अच्छे लीडर को अपने टीम मेंबर्स की खूबियों और कमियों दोनों की पूरी जानकारी  होती है और वह पूरी टीम को लक्ष्य के प्रति संकल्पित और समर्पित करने का हर संभव प्रयास करता रहता है जिससे कि नियत लक्ष्य को हासिल करना बहुत आसान हो और साथ में आनंददायक भी. 

अपने टीम द्वारा किए जाने वाले काम का नॉलेज जरुरी : टीम लीडर को अपने टीम द्वारा किए जानेवाले हर छोटे-बड़े काम की बुनियादी समझ तथा जानकारी होनी चाहिए. कहते हैं न कि नॉलेज इस पॉवर. इसके बहुत सारे फायदे हैं. किसी कार्य विशेष को करने में लगने वाले न्यूनतम और अधिकतम समय का पता होता है. इससे उस कार्य विशेष से जुड़े लक्ष्य को पूरा करने में कितना वक्त लगेगा, यह तय कर पाना आसान हो जाता है. इतना ही नहीं, किसी आकस्मिक घटना-दुर्घटना के वक्त कार्य बाधित नहीं होता और टीम बिना पैनिक के सामान्य रूप से कार्य संपादित कर पाती है. इससे लीडर का आत्मविश्वास ऊँचा होता है और उनके सहकर्मियों का उनके प्रति सम्मान भी. 

जब भी टीम को आगे का रास्ता दिखाने की बात हो तो सदा तत्पर रहें : जब भी कोई बड़ा और नया काम शुरू करना हो, उस समय टीम के सभी सदस्यों को मोटीवेट करने, उनके साथ मजबूती से खड़ा होने और उन्हें जरुरी मार्गदर्शन देना बेहतर होता है. इसका मतलब यह नहीं कि लीडर छोटी-छोटी बातों में हस्तक्षेप करे. इरादा सिर्फ टीम को सशक्त और आगे बढ़ने के लिए सब तरह से प्रेरित करना होता है. वह अपने सहकर्मी के अच्छे काम की प्रशंसा सार्वजानिक रूप से करता है और गलती करने पर उसकी अकेले में काउंसलिंग करता है.  वह लगातार मानवीय तरीके से सहकर्मियों को सुधारने की कोशिश करता रहता है. निरंतर सीखने और सीखाना सच्चे लीडर की खासियत होती है. आउट ऑफ़ बॉक्स थिंकिंग भी लीडर की बड़ी क्वालिटी मानी जाती है. 

कोई बड़ा या साहसिक काम हो तो खुद आगे आकर लीड करें: जब भी कोई ऐसा काम करना हो जिसे करना तो जरुरी हो, लेकिन उसमें अपेक्षाकृत जोखिम ज्यादा हो या उसे आगे बढ़कर करने में अतिरिक्त साहस की जरुरत हो तब लीडर को बेझिझक आगे आकर टीम को लीड करना चाहिए. ऐसा करने पर टीम के सदस्यों में पर्याप्त उर्जा और उत्साह का संचार होता है. पूरे टीम का मनोबल बढ़ता है. सेकंड लाइन लीडर्स को बहुत प्रेरणा मिलती है. दरअसल, टीम लीडर असफलता से नहीं डरता. वह तो बस हर काम को पूरी प्लानिंग के साथ निष्ठापूर्वक निष्पादित करने में विश्वास करता है. अच्छा लीडर बातों  का बादशाह नहीं, बल्कि कर्मठ कर्मयोगी होता है. वह जो कहता है, करता है. सोच-विचार-परामर्श कर निर्णय लेता है और उसपर कायम रहता है. वह मसला नहीं खड़ा करता, बल्कि छोटे-बड़े सभी मसले का हल निकालता है और सबके सामने मिसाल कायम करता है. जॉन क्विंसी एडम्स सही कहते हैं, "अगर आपके एक्शन दूसरों को ज्यादा सपने देखने, ज्यादा सीखने, ज्यादा काम करने और ज्यादा विकास करने को प्रेरित करते हैं तो आप सचमुच एक लीडर हैं." 
(hellomilansinha@gmail.com)

                 
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं 
# दैनिक जागरण के सभी संस्करणों में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com

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