- मिलन सिन्हा, हेल्थ मोटिवेटर एवं स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट
हाल ही में स्वास्थ्य पर एक परिचर्चा के दौरान अनायास ही कह दिया था - चलते रहेंगे तो चलते रहेंगे ! फिर गहराई में जाकर सोचा तो पता चला कि इस छोटे से वाक्य में कई तरह के अर्थ छुपे हैं. मनोज कुमार अभिनीत मशहूर हिन्दी फिल्म, 'शोर' का यह गाना भी बरबस याद आ जाता है : 'जीवन चलने का नाम, चलते रहो सुबह-शाम.....'
सच पूछें तो चलना-टहलना ऐसे तो एक सामान्य शारीरिक क्रिया है, पर इसके परिणाम अत्यन्त बहुआयामी एवं दूरगामी होते हैं. दरअसल, टहलना-चलना एक लोकतान्त्रिक सोच है, एक समावेशी दर्शन है और एक सम्पूर्ण विकास यात्रा भी. गौतम बुद्ध, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, विनोबा भावे जैसे कितने ही महान व्यक्ति इसका ज्वलंत उदाहरण हैं.
फादर ऑफ़ मेडिसिन हिप्पोक्रेटीस का तो कहना है कि मनुष्य के लिए टहलना सबसे अच्छी दवा है. शायद इसलिए इसे सौ मर्जों की एक दवा भी कहा जाता है.
बहरहाल, दुःख की बात है कि यह जानने-समझने के बावजूद कि टहलना सबसे आसान व्यायाम है, अधिकांश लोग दिनभर में टहलने के लिए 20-30 मिनट का समय भी नहीं निकाल पाते हैं. ज्ञातव्य है कि हमारे देश में कार, बाइक आदि पर निरंतर बढ़ती निर्भरता के कारण हम नजदीक के स्थानों तक जाने के लिए भी कार और बाइक का सहारा लेते हैं, जहां हम आसानी से पैदल जा सकते हैं. एक सर्वे के अनुसार करीब 20 % लोग उन स्थानों के लिए पैदल के बजाय किसी -न-किसी वाहन का उपयोग करते हैं. सोचिए जरा, अगर हम पास की जगह तक भी पैदल जाने लगें तो हमारी सेहत थोड़ी अच्छी जरुर हो जाएगी, साथ-ही-साथ हमारे थोड़े पैसे बच जायेंगे, देश का तेल आयात बिल थोड़ा घटेगा और वायु प्रदूषण में भी थोड़ी कमी आएगी. मतलब सबको फायदा.
ऐसे तो कई लोग खुद को फिट रखने के लिए पैसे खर्च करके जिम आदि जाते हैं, लेकिन मेडिकल रिसर्च तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञ का स्पष्ट कहना है कि सभी उम्र के लोगों के लिए वाकिंग से सहज, सरल और मुफ्त कोई दूसरा और विकल्प नहीं है.
टहलना वाकई बहुत आसान है, क्योंकि हम अपनी सुविधानुसार टहल सकते हैं. इस कार्य में न तो पेट्रोल-डीजल-मोबिल का खर्च आता है, न तो पार्किंग की कोई जरुरत होती है और न ही इससे कोई प्रदूषण फैलता है. हम अपने शारीरिक अवस्था के हिसाब से टहलने की गति निर्धारित कर सकते हैं. और-तो-और हम अकेले, जोड़े में या ग्रुप में भी टहल सकते हैं.
ऐसे टहलने के लिए सुबह का समय उपयुक्त माना गया है, लेकिन किसी कारण से अगर हम सुबह समय नहीं निकाल सकते हैं तो शाम को टहल सकते हैं. अपने सामान्य गति से थोड़ा तेज टहलना ज्यादा फायदेमंद माना गया है. टहलने में नियमितता का महत्व बहुत अहम है.
स्वाभाविक रूप से सुबह सूर्योदय के बाद टहलने के फायदे अपेक्षाकृत ज्यादा हैं. आजकल तो डॉक्टर, खासकर ह्रदय रोग विशेषज्ञ, मधुमेह रोग विशेषज्ञ आदि अपने-अपने मरीजों को रोज सुबह कम से कम आधा घंटा टहलने की सलाह जरूर देते हैं.
रोजाना सुबह खुले स्थान और कमोबेश स्वच्छ वातावरण में तेज गति से आधे घंटे टहलने से न केवल शरीर के सारे अंग सक्रिय हो जाते हैं एवं पूरे शरीर में रक्त प्रवाह तेज हो जाता है, बल्कि इससे हमारे मेटाबोलिज्म को बहुत लाभ मिलता है. इतना ही नहीं, सुबह टहलने से हमारे अंदर की नकारात्मकता कम होने लगती है और हम सकारात्मकता से भरने लगते हैं. कहने की जरुरत नहीं कि जो लोग स्वस्थ हैं उन्हें नियमित रूप से मॉर्निंग वॉक करने पर कई लाइलाज रोगों से छूटकारा मिल सकता है.
आइए जानते हैं सुबह टहलने के कुछ अहम फायदे :
1. हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग डायबिटीज यानी मधुमेह से ग्रसित हो रहे हैं. इससे बचे रहने के लिए नियमित रुप से टहलना बहुत लाभकारी है. मधुमेह के रोगियों के लिए भी टहलना काफी फायदेमंद माना जाता है. दो-तीन किलोमीटर टहलने के बाद अगर इसके मरीज ब्लड शुगर की जांच करवाते हैं तो उसमें सुधार दिखता है. यही कारण है कि डॉक्टर उन्हें नियमित रूप से टहलने की राय देते हैं.
2. रेगुलर वाकिंग हार्ट को हेल्दी रखने का एक सहज-सरल उपाय है. नियमित मॉर्निंग वाक से हाई ब्लड प्रेशर सहित ह्रदय रोग के अन्य मरीजों को बहुत लाभ मिलता है. इस क्रम में उनके मांसपेशियों का व्यायाम हो जाता है, दिल अच्छी तरीके से काम करता है, शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह उन्नत होता है और गुड कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ता है. बुजुर्गों के लिए तो यह विशेष रूप से फायदेमंद है.
3. हम सब जानते हैं कि मोटापा अपने-आप में एक बीमारी है. इसके कारण हम स्वतः अन्य कई रोगों के चपेट में आ जाते हैं. हर रोज तेज रफ्तार से 30-40 मिनट टहलने से मोटापा कम करने और अपने शारीरिक वजन को नियंत्रण में रखने में बहुत लाभ मिलता है, क्यों कि इस प्रक्रिया में अच्छी मात्रा ऊर्जा खर्च होती है और फैट बर्न होता है. फलतः धीरे-धीरे वजन कम होने लगता है. बेशक इसके साथ-साथ खानपान में नियंत्रण भी जरुरी होता है.
4. टहलने से हमारी हड्डियां मजबूत होती हैं. शरीर के जोड़ों को कार्यशील और मजबूत बनाए रखने में रेगुलर वाकिंग की अहम भूमिका है. इससे हमें ऑर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोगों में लाभ मिलेगा और हममें से कई लोग इन रोगों से बचे भी रह पायेंगे. हर उम्र के पुरुष और महिलाओं को इससे बहुत लाभ मिलता है.
5. ऐसे तो कैंसर से बचाव के मामले में मर्द-औरत सबके लिए वाकिंग की स्पष्ट भूमिका है, लेकिन एकाधिक मेडिकल रिसर्च के मुताबिक़ यदि महिलाएं कम-से-कम 30-40 मिनट रेगुलर वाक करें तो उनके लिए एक बड़े हद तक स्तन कैंसर से बचे रहना संभव हो सकता है. टहलने से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है अर्थात हमारी प्रतिरोधक क्षमता उन्नत होती है, जिससे कैंसर सेल्स को बहुत नुकसान पहुँचता है.
6. टहलने का हमारे मानसिक स्वास्थ्य से भी गहरा रिश्ता है. इससे हमारी मेमोरी अच्छी रहती है. प्राकृतिक परिवेश और ऑक्सीजन की सुलभता के कारण ब्रेन की सक्रियता बढ़ती है. चिंतन-मनन की क्षमता में इजाफा होता है. तभी तो प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे कहते हैं, "वाकई सभी महान विचार वाकिंग के दौरान ही मन में आते हैं."
एक रोचक जानकारी और. पैदल चलने की प्रक्रिया के क्रम में शरीर में सिरोटोनिन नामक फील गुड केमिकल का स्राव होता है और चलना अच्छा लगने लगता है. इसी दौर में आगे हमारे शरीर में एंडोर्फिन नामक फील हैप्पी केमिकल का स्राव भी शुरू हो जाता है जिससे चिंता और तनाव में कमी आती है तथा हमें आनंद की अनुभूति होती है.
तो फिर क्यों न हम सब चलें टहलने के लिए प्रसिद्ध कवि गिरिजा कुमार माथुर की चर्चित कविता "हम होंगे कामयाब" की यह पंक्तियां गुनगुनाते हुए कि हम चलेंगे साथ-साथ, डाल हाथों में हाथ... ...मन में है विश्वास, हम होंगे कामयाब?
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
# दैनिक भास्कर में प्रकाशित
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