- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर... ....
सभी छात्र-छात्राओं के जीवन यात्रा में छोटी-बड़ी समस्या आती रहती है और हर कोई अपनी समझ और शक्ति से उन समस्याओं को सुलझाने का यथासाध्य प्रयास करते हैं. धीरे-धीरे अपने ज्ञान, अनुभव और बड़ों के मार्गदर्शन से समस्याओं का समाधान पाना आसान होता जाता है. दुनिया में कोई ऐसा विद्यार्थी नहीं होगा जिसके जीवन में कभी कोई समस्या नहीं रही हो या आगे नहीं रहेगी. अनेक महान लोगों का मानना है कि समस्या एक उपहार के तरह है. बिना समस्या के हमारा सही विकास नहीं हो सकता है. दरअसल, समस्या कोई बड़ी समस्या नहीं होती है. इसके प्रति हमारा नजरिया होता है.
आमतौर पर यह देखा जाता है कि कई विद्यार्थी हर समस्या को एक अवसर के रूप में देखते हैं जब कि कई विद्यार्थी अवसर को भी समस्या मानते हैं. कई विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जिनको हर चीज में समस्या ही नजर आती है. वे छोटी समस्या को भी बड़ा बनाकर देखते हैं, साथी-सहपाठी को दिखाते भी हैं. इनमें से ज्यादातर विद्यार्थी थोड़े डरपोक और आलसी होते हैं. वे अपने अभिभावकों के सामने छोटी कठिनाई को भी बड़ी समस्या बनाकर पेश करते हैं, जिससे कि उनके अभिभावक उन्हें उनकी गलतियों के लिए डांटे नहीं, बल्कि उनके प्रति सहानुभूति दिखाएं. ऐसे विद्यार्थी अपना तो नुकसान करते हैं, साथ में अपने कुछ सहपाठियों को भी गलत तरीके से अपने पाले में करके उनको भी नुकासान का भागीदार बनाते हैं. हां, इन सबको काउंसलिंग की जरुरत होती है.
मेरी तो स्पष्ट मान्यता रही है कि जहां भी कोई समस्या है, उसका कोई-न-कोई समाधान भी है. इतना ही नहीं, आमतौर पर उस समाधान का संकेत भी समस्या में निहित होता है. एक छोटे उदाहरण से इसे समझते हैं. कई बार सड़क पर वाहन चलाते हुए जब चौराहे या सिग्नल से कुछ पहले ही अप्रत्याशित जाम दिखता है तो सबको यह संकेत मिल जाता है कि आगे जल्दी निकलना बहुत मुश्किल होगा और तब समझदार लोग वैकल्पिक रास्ते तलाश कर, छोटी गली से गुजरकर फिर आगे मुख्य सड़क पर आ जाते हैं. कहने का अभिप्राय यह कि विद्यार्थी जीवन में या आगे भी समस्या से आमना-सामना होना कोई असामान्य बात नहीं है. असामान्य यह है कि छात्र-छात्राएं उनसे घबड़ा जाएं, विचलित या उत्तेजित या तनावग्रस्त हो जाएं. देखा यह भी जाता है कि समस्याओं से सामना होने पर कुछ विद्यार्थी तो बस अपना घुटना टेक देते हैं. मैदान ही छोड़ देते हैं अर्थात पढ़ाई-लिखाई या जो काम कर रहे थे उसे ही छोड़ देते हैं. ऐसे विद्यार्थियों को समझने की जरुरत है कि समस्या जीवन की सामान्य चुनौती है जो उनके ज्ञान, साहस, संयम, क्षमता, आत्मविश्वास आदि की परीक्षा ले रहा है. वस्तुतः जीवन की हर सफलता उन चुनौतियों को पार कर आगे निकलने का नाम है. लिहाजा समस्या से निजात पाने का सर्वोत्तम तरीका समस्या का समाधान हासिल करना है, उसे छोड़कर भागना नहीं. आइए, आगे बढ़ने से पहले प्रख्यात कवि और लेखक डॉ. हरिवंश राय बच्चन की एक प्रेरक कविता की कुछ पंक्तियां पढ़ लें : "असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो / क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो / जब तक न सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम / संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम / कुछ किए बिना ही जयजयकार नहीं होती / हिम्मत करने वालों की कभी हार नही होती."
अब सवाल है कि समस्या से समाधान तक पहुंचने के लिए जरुरी योग्यता या क्षमता या दृष्टि कैसे विकसित करें? सर्वप्रथम तो सोच के स्तर पर हमेशा पॉजिटिव बने रहें. आप जैसा सोचते हैं आपका शरीर वैसे ही रियेक्ट करता है. अतः "मैं कर सकता हूं और मैं करूंगा" के सोच और आत्मविश्वास से समस्या का सामना करें. खुद को संयत बनाए रखें. आंख, कान और दिमाग खुला रखें जिससे कि आप समाधान के संकेतों को पकड़ और समझ सकें. समस्या के चरित्र के हिसाब से समाधान का तरीका अपनाना बेहतर होता है. परिस्थिति विशेष में उपलब्ध विकल्पों में से जो भी विकल्प सही लगे उस पर विचार कर कदम उठाएं. समस्या बड़ी हो तो उससे जुड़े सभी तथ्यों को इकठ्ठा करके उसकी निष्पक्ष एवं तर्कपूर्ण ढंग से विवेचना करें. मौका मिले तो डिटेल्स एक कागज़ पर लिख लें. इससे समस्या से जुड़ी हर जरुरी बात स्पष्ट रूप से आपके सामने होती है. जरुरत महसूस हो तो बिना संकोच अपने अभिभावक, हितेषी या किसी एक्सपर्ट से मार्गदर्शन प्राप्त करें. पूरे प्रोसेस में "हम होंगे कामयाब, मन में है विश्वास" की भावना से भरे रहना बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगा. समस्याओं को मौके में तब्दील करते रहने और समाधान की मंजिल तक पहुंचने-पहुंचाने वाले अनेक महान लोगों की जिंदगी से भी हमें यही तो सीख मिलती है.
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 03.11.2019 अंक में प्रकाशित
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 03.11.2019 अंक में प्रकाशित
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