- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर... ....
हमारे देश में बेरोजगार युवाओं की संख्या बहुत बड़ी है. सबके पास रोजगार हो तो देश की खुशहाली एवं समृद्धि सुनिश्चित है. अधिकांश विद्यार्थियों की यह स्वाभाविक आशा होती है कि उन्हें उनके ज्ञान व योग्यता के अनुरूप रोजगार मिले, जिससे वे अपना और अपने परिवार का जीवनयापन कर सकें. लिहाजा वे नौकरी और स्वरोजगार की तलाश में रहते हैं. बैंकों में मुद्रा लोन के युवा आवेदकों की बात करें या एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज या कोई जॉब फेयर या कैंपस प्लेसमेंट की बात हो, हर जगह विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या इस बात को रेखांकित करती है.
ऐसे तो विश्वभर में बीमा क्षेत्र में रोजगार की अच्छी संभावना है, लेकिन भारत जैसे विशाल देश में इसकी संभावना तुलनात्मक रूप से बेहतर है. देश का इंश्योरेंस सेक्टर आज न केवल व्यक्ति के जीवन, घर, वाहन, घरेलू साज-सामान, मेडिकल खर्च जैसे कई मामले में बीमा की सुविधा मुहैया कर आर्थिक सुरक्षा प्रदान रहा है, बल्कि बीमित व्यक्ति को जोखिमों के प्रति आश्वस्त भी करता है. कहने का मतलब यह कि लाइफ इंश्योरेंस हो या जनरल इंश्योरेंस या फिर हेल्थ इंश्योरेंस, हर जगह यह एक विकसित होता हुआ क्षेत्र है. जैसे-जैसे लोगों की क्रय क्षमता बढ़ रही है, लोगों में जीवन के प्रति जिम्मेदारी और संजीदगी में इजाफा हो रहा है, सामाजिक जागरूकता में वृद्धि हो रही है, वैसे-वैसे बीमा क्षेत्र का विकास तेजी से हो रहा है. एक अनुमान के मुताबिक़ निरंतर विकसित होते हुए इस सेक्टर में अगले दस वर्षों में 30 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त होगा. आज की तारीख में जीवन बीमा क्षेत्र में सरकारी कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी के अलावे 23 प्राइवेट यांनी गैर सरकारी कम्पनियां काम कर रही हैं. उसी तरह नॉन-लाइफ एंड हेल्थ इंश्योरेंस क्षेत्र में चार सरकारी बीमा कंपनियों के अलावे 30 प्राइवेट बीमा कंपनी कार्यरत र्हैं.
बताते चलें कि बीमा और कुछ नहीं बल्कि बीमाकर्ता और बीमित व्यक्ति के बीच एक एग्रीमेंट है जिसके तहत बीमित व्यक्ति या तो वन टाइम प्रीमियम या मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक, वार्षिक आधार पर एक समयावधि तक नियमित एक तय राशि बीमा प्रीमियम के तौर पर बीमाकर्ता के पास जमा करता है. एग्रीमेंट के अनुसार इसके एवज में में बीमाकर्ता यानी इंश्योरेंस कंपनी बीमित व्यक्ति को किसी दुर्घटना या नुकसान या बीमा के अन्य प्रावधानों के तहत एक बड़ी राशि का भुगतान करती है. संतोष की बात है कि आज देश की बीमा कंपनियों के पास हर हालात से निपटने के लिए कोई-न-कोई इंश्योरेंस पॉलिसी है.
आंकड़ों के लिहाज से जीवन बीमा क्षेत्र में मासिक कारोबार की बात करें तो इरडा (भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण) के मुताबिक जुलाई 2019 में जुलाई 2018 के मुकाबले 6 प्रतिशत से ज्यादा बीमा प्रीमियम जमा हुआ. उसी तरह नॉन-लाइफ एंड हेल्थ इंश्योरेंस क्षेत्र में जुलाई 2019 में जुलाई 2018 की तुलना में 22 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि दर्ज हुई, जिसमें हेल्थ इंश्योरेंस क्षेत्र में कार्यरत सात कंपनियों द्वारा इसी अवधि में करीब 44 प्रतिशत का उछाल शामिल है. ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि बीमा क्षेत्र में कारोबार निरंतर बढ़ रहे हैं और इसके साथ वहां रोजगार के अवसर भी.
देश के बीमा क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए इंश्योरेंस एजेंट या एडवाइजर, ऑफिस स्टाफ, डेवलपमेंट या सेल्स ऑफिसर, एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर, मैनेजर, ट्रेनर, सर्वेयर, अंडरराइटर, एक्चुअरीज आदि के रूप में कार्य करने के मौका रहता है. ज्ञातव्य है कि इस क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए विद्यार्थी के पास ग्रेजुएट लेवल की डिग्री होना बेहतर होता है. सरकारी बीमा कंपनियों - जीवन बीमा और साधारण बीमा दोनों में नियुक्ति के लिए केंद्रीकृत व्यवस्था है. प्राइवेट बीमा कम्पनियां समय-समय पर वेकंसी के अनुरूप अपने-अपने तरीके से सेलेक्सन करते हैं. कॉलेज-यूनिवर्सिटी में कैंपस सेलेक्सन प्रोसेस के माध्यम से फ्रेशेर्स को नियुक्त किया जाता है. इंश्योरेंस सेक्टर में जाने को इच्छुक छात्र-छात्राओं के लिए एमबीए इन इंश्योरेंस, बीएससी इन एक्चुरियल साइंस, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रिस्क एंड इंश्योरेंस मैनेजमेंट जैसे कई कोर्सेस भी मौजूद हैं.
जो भी विद्यार्थी इंश्योरेंस क्षेत्र में रोजगार पाना चाहते हैं उन्हें यह याद रखना चाहिए कि यह एक ऐसा पेशा है जिसमें काम करनेवाले हर व्यक्ति से यह न्यूनतम अपेक्षा होती है कि वे बीमित व्यक्ति और उसके परिवारजनों की छोटी-बड़ी कठिनाइयों को समझें और उसका समाधान करने का भरसक प्रयास करे. वे सेलिंग तथा पीपल स्किल्स में दक्ष हों, बीमा करने से पहले व्यक्ति के जोखिम, आर्थिक स्थिति व बीमा की जरूरतों का सही आकलन कर उन्हें बीमा के शर्तों की पूरी जानकारी दे और पूरी पारदर्शिता अपनाते हुए व्यक्ति को इंश्योरेंस प्रोडक्ट ऑफर करे. साथ ही किसी नुकसान या दुर्घटना की स्थिति में बीमित राशि के शीघ्र भुगतान में हर संभव मदद करे.
(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 22.09.2019 अंक में प्रकाशित
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 22.09.2019 अंक में प्रकाशित
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