Saturday, October 5, 2019

टेंशन को जल्द कहें ना

                                                            - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर... ....
हाल ही में एक शैक्षणिक संस्थान में सिविल सर्विसेस प्रतियोगिता परीक्षा की  तैयारी कर रहे  छात्र-छात्राओं के एक बड़े समूह से बातचीत करने के क्रम में मैंने एकाधिक बार उनसे कहा कि कुछ भी हो, पर टेंशन नहीं लें. चिंता नहीं, चिंतन करें. हेल्दी रहें. विद्यार्थियों के चेहरे पर आए तात्कालिक भाव को पढ़कर लगा कि उन्हें मेरी बात अच्छी लगी. फिर भी सेशन के अंत में कुछ विद्यार्थियों ने पूछ ही लिया कि आखिर टेंशन को कैसे कहें ना? विशेषज्ञ कहते हैं कि कारण जानेंगे तो निवारण भी पा लेंगे. तो पहले मूल बात पर गौर कर लेते हैं  कि टेंशन आखिर होता क्यों है?

निरंतर बढ़ती प्रतिस्पर्धा के मौजूदा समय में बहुत सारे विद्यार्थी टेंशन में रहते हैं और दिखते भी हैं. हां, कई लोग अपना टेंशन छुपाने में सफल भी रहते हैं, यद्दपि ऐसे लोग ऐसा करके  कई बार अपना टेंशन और बढ़ा लेते हैं. आपने भी देखा होगा कि एक जैसी परिस्थिति में दो विद्यार्थी अलग-अलग मानसिक स्थिति में रहते हैं. पहला फ़िक्र और टेंशन से परेशान है तो दूसरा बेफिक्र और मस्त. पहला जहां यह गाना गाता प्रतीत होता है कि जिंदगी क्या है, गम का दरिया है ...तो वहीँ  दूसरा यह गाता हुआ लगता है कि "मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुंए में उड़ाता चला गया...."  

बहरहाल, प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होनेवाले विद्यार्थियों को केंद्र में रखकर इस चर्चा  को आगे  बढ़ाएं  तो यह कहना मुनासिब होगा कि यहां टेंशन के अनेक कारण हो सकते हैं. प्लस टू , ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बेसिक क्वालिफिकेशन के बाद प्रतियोगिता परीक्षा से विद्यार्थियों का वास्तव में सीधा सामना होता है. आईआईटी-एनआईटी, नीट, बैंकिंग, रेलवे, एसएससी, आईआईएम,  सिविल सर्विसेस या अन्य प्रतियोगिता परीक्षा की बात करें, तो  हर जगह  सिलेबस बड़ा हो जाता है.  विषय ऐच्छिक और अनिवार्य दोनों होते हैं. प्रश्नों का पैटर्न भिन्न  होता है. सामान्यतः पास मार्क्स जैसी कोई बात नहीं होती. बस उपलब्ध सीटों  के हिसाब से प्रतियोगिता में शामिल विद्यार्थियों की कुल संख्या में से सबसे अच्छे अंक अर्जित करनेवाले विद्यार्थियों का चयन होता है. ऐसे में दिमागी कनफूजन, सफलता के प्रति संशय, असफलता का डर, घरवालों की अपेक्षा पर खरा न उतरने पर उपेक्षा की आशा, अनहोनी की आशंका आदि टेंशन के आम कारण होते हैं. यूँ तो कई विद्यार्थी कभी-कभी बस बिना कारण भी टेंशन में पाए जाते हैं.

जानकार कहते हैं कि अगर आप केवल एक हफ्ते तक रोज रात को सोने से पहले दिनभर के कार्यों-व्यस्तताओं की निरपेक्ष समीक्षा करें तो आप पायेंगे कि अमूमन कितना समय आपने  रोज टेंशन में गुजारा है. अब खुद ही यह भी विवेचना करें कि जिन बातों को लेकर टेंशन में रहे, उनमें से कितने टेंशन करने लायक थे और कितने बेवजह. सर्वे बताते हैं कि आधा से ज्यादा समय छात्र-छात्राएं अकारण ही टेंशन में रहते हैं. मजे की बात है कि जब भी आप टेंशन में रहते हैं उस समय आप जो भी कार्य करते हैं, मसलन पढ़ना-लिखना, खेलना या और भी कुछ, उसमें आपकी  उत्पादकता या परफॉरमेंस औसत से बहुत कम होता है. मानसिक रूप से आप अशांत और नाखुश रहते हैं. ऐसे में आपका मेटाबोलिज्म दुष्प्रभावित होता है. आपका  पाचनतंत्र से लेकर अन्य ऑर्गन सामान्य ढंग से काम नहीं करते, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह  साबित होता है.

तो फिर टेंशन को ना कहने के लिए क्या करना चाहिए? सबसे पहले अपने लक्ष्य के प्रति खुद को पूर्णतः समर्पित करते हुए जो कुछ कर सकते हैं उसे करने की पूरी कोशिश करें. झूठ-फ़रेब से दूर रहें. दिनभर का एक रुटीन बना लें और उस पर पूरा अमल करें. सही कहा है किसी ने कि कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती. देर हो सकती है, पर अगर आप शिद्दत से कोशिश करते रहें तो आप लक्ष्य तक पहुंचेंगे जरुर. इस दौरान महात्मा गांधी के इस कथन को याद रखना आपको उर्जा व प्रेरणा देगा कि हम जो करते हैं और हम जो कर सकते हैं, इसके बीच का अंतर दुनिया की ज्यादातर समस्याओं के समाधान के लिए पर्याप्त होगा. एक बात और. आपके प्रयासों का आकलन आपसे बेहतर शायद ही कोई कर सकता है. अतः दूसरों की राय से न तो बहुत खुश हो और न ही एकदम दुखी. खुद पर और अपनी कोशिशों पर हमेशा भरोसा करें. गलती हो गई हो तो अव्वल तो उसे दोहराएं  नहीं, उसे यथाशीघ्र सुधारें. छोटी-मोटी परेशानियों को तत्काल सुलझाने  या फिर झेलने या इग्नोर करने की आदत बना लें, जिससे कि आप बड़े और महत्वपूर्ण टास्क पर ध्यान केन्द्रित कर सकें. हर समय इस मानसिक सोच से काम करें कि अच्छे तरीके से कोई भी काम करेंगे तो अंततः उसका परिणाम अच्छा ही होगा. इन सरल उपायों से आप टेंशन को एक बड़ा-सा 'ना' कह सकेंगे. 
(hellomilansinha@gmail.com)

                 
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं  
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