Sunday, June 9, 2019

मोटिवेशन : दिमाग को साफ़-सुथरा रखना जरुरी

                                                                              - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर...
हमारा देश युवाओं का देश है. यहां संभावनाओं और क्षमताओं की कोई कमी नहीं है. यह देश के लिए ख़ुशी की बात है. सूचना और संचार क्रांति के इस युग में हमारे युवाओं को चारों दिशाओं से प्रति क्षण असंख्य सूचना-समाचार मिलते रहते हैं. मोबाइल और इंटरनेट की सुलभता से यह काम और भी आसान हो गया है. सोशल मीडिया पर पुष्ट-अपुष्ट, सही-गलत, वांछित-अवांछित, शील-अश्लील सब तरह की सामग्री की बाढ़ से बेशक सभी हैरान हैं, बहुत से युवा परेशान भी.

मनुष्य मूल रूप से एक संवेदनशील प्राणी है. उसके दिमाग की कार्यक्षमता असीमित है, ऐसा मेडिकल साइंस भी मानता है. हमारे वेद-पुराण में इस तथ्य को साबित करने के अनेकानेक उद्धरण मौजूद हैं. आधुनिक युग में भी संसारभर में जिन लाखों विलक्षण लोगों ने अपने-अपने कार्यक्षेत्र में सर्वथा असाधारण कार्य किये हैं और कर रहे हैं वह स्वामी विवेकानन्द के इस उक्ति को संपुष्ट करते हैं कि सभी शक्तियां आपके अन्दर मौजूद हैं. आप कुछ भी कर सकते हैं. 

कंप्यूटर परिचालन में शुरू में ही बताया जाता है कि गार्बेज इन, गार्बेज आउट. अर्थात कचड़ा अन्दर डालेंगे तो कचड़ा ही बाहर आएगा. कहने का मतलब जैसा अन्दर डालेंगे, वैसा ही बाहर आएगा. कमोबेश यही सिद्धांत मनुष्य के दिमागी कंप्यूटर के साथ भी होता है, ऐसा सामान्यतः स्पष्ट दिखाई पड़ता है. इसी कारण हर समाज में शिक्षा और संस्कार के महत्व पर सभी एकमत रहे हैं. अच्छी शिक्षा और संस्कार से  सोच और बुद्धि का सीधा संबंध होता है. 

बहरहाल, चिंता की बात है कि इतना सब जानते-समझते-मानते हुए भी जाने-अनजाने बहुत सारे युवा नकारात्मक एवं अवांछित बातों-विचारों को अपने दिमाग में घुसने और अपने दिमाग को कचड़ा घर बनने दे रहे हैं. उनके दैनंदिन आचार-व्यवहार में इसकी झलक मिलती रहती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि बच्चों, किशोरों और युवाओं के सरल एवं स्वच्छ मन-मानस को इस महामारी से बचाना बहुत मुश्किल है. इसके लिए समेकित प्रयास की जरुरत होगी. निःसंदेह, अभिभावकों एवं गुरुजनों का इस मामले में बहुत बड़ी भूमिका होगी, लेकिन पहल तो युवाओं को ही करना होगा.    

सबसे पहले स्वयं युवाओं के लिए  यह विचार करना जरुरी है कि उनके दिमाग में जो चीजें जा रही हैं वे बातें उनके लिए हितकारी हैं या नहीं, क्यों कि उसमें से अनेक बातें दिमाग में ठहर जाती है और उन्हें  कारण-अकारण व्यस्त रखती हैं. कई बार इसमें उनका  बहुत-सा समय यूँ ही खर्च होता है और वे समझ भी नहीं पाते. सोचनेवाली बात यह भी है कि जो अहितकारी बातें रोजाना उनके  पास आती हैं, आखिर वह किस स्रोत से ज्यादा आती हैं - किसी दोस्त, परिजन, सोशल मीडिया या अन्य किसी माध्यम से. युवाओं के लिए इसका गहराई से विश्लेषण करना निहायत जरुरी है. बेहतर तो यह होगा कि विश्लेषण एवं नियमित समीक्षा की प्रक्रिया उनके  रुटीन का हिस्सा बन जाए जिससे कि  दिमाग को प्रदूषित करने वाले स्रोत को पहचान कर तुरत उसे गुडबाय कर सकें. बुद्धिमान लोग तो  ऐसे कचड़े को आने से रोकने के लिए दिमाग के दरवाजे पर एक सशक्त स्कैनर लगा कर रखते हैं. उसे वहीँ  से बिदा कर दिया जाता है. 

एक अहम बात और. यह देखना भी जरुरी है कि वैसे कौन-कौन से विचार हैं जो उनके  दिमाग को अनावश्यक रूप से उलझाते हैं और परेशान करते हैं. उनकी पहचान कर लेने के बाद उनसे मुक्ति के लिए जरुरी है कि वे रोजाना अपने दिन की शुरुआत सकारात्मक सोच के साथ करें. सुबह जल्दी उठने का प्रयत्न करें. जो भी उनके आदर्श हों - माता-पिता, गुरुजन या कोई महान व्यक्ति, उन्हें याद कर उनका नमन करें. फिर सूरज की ओर देखें और महसूस करें कि आपके शरीर के  अन्दर दिव्य प्रकाश का प्रवेश हो रहा है और अँधेरा मिट रहा है. अब एक बार अपने शरीर के सारे अंगों- पैर की उंगलियों से सिर तक, को ठीक से देखें और सोचें कि आप कितने भाग्यशाली हैं कि आपके सारे अंग क्रियाशील हैं. इस शुरुआती पांच मिनट में ही आप आशा और विश्वास से भरने लगेंगे.  कहते हैं न ‘वेल बिगन इज हाफ डन’ यानी अच्छी शुरुआत आधा काम पूरा कर देता है. फिर दिनभर अच्छे कार्यों में व्यस्त रहें. बीच में अगर कोई नेगेटिव विचार या व्यक्ति आ जाए, उससे जल्द छुटकारा पा कर पॉजिटिव जोन में लौटें. नियमित अभ्यास से यह सब करना आसान होता जाएगा. रात में भी सोने से पूर्व फिर सकारात्मक सोच-विचार में थोड़ा वक्त गुजारें, उसका चिंतन-मनन करें. 

स्वभाविक है कि जो स्रोत उनके  लिए अच्छे हैं, ऐसे स्रोतों की संख्या बढ़ती रहे तो स्कूल-कॉलेज की परीक्षा हो या कोई कम्पटीशन, हर जगह प्रदर्शन बेहतर होना सुनिश्चित है. फिर तो लम्बी जीवन यात्रा में सफलता और खुशी उनके साथ-साथ चलती रहेगी और सर्वे भवन्तु सुखिनः जैसे विचारों को फलने-फूलने का सुअवसर भी मिलता रहेगा. 
                                                                                   (hellomilansinha@gmail.com)
               और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं
   
 # लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 09.06.2019 अंक में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com

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