- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर...
आमतौर पर यह देखा गया है कि किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा का समय नजदीक आते ही प्रतिभागियों और विद्यार्थियों को समय की कमी महसूस होने लगती है, जब कि प्रतियोगिता परीक्षा की तारीख अधिकांश मामलों में पहले से घोषित होती है. यह अस्वाभाविक नहीं है. अब बचे हुए समय में सारे बाकी बचे चैप्टर पढ़ने, दोहराने, सबको याद रखने और फिर परीक्षा में अच्छा स्कोर करने की चुनौती सामने जो होती है.
आज के युवाओं में सामान्यतः मेधा की कमी नहीं है. और अब तो सूचना और जानकारी पाने के न जाने कितने सरल और सुलभ माध्यम उपलब्ध हैं. समय के साथ परीक्षा के तरीके भी आधुनिक तकनीक के कारण सरल और पारदर्शी हो गए हैं. कहने का अभिप्राय यह कि आज के युवा के पास संसाधन की उपलब्धता कमोबेश एक सामान है और परीक्षा में भी कोई भेदभाव नहीं. अब तो सवाल है सिर्फ तैयारी के प्रति प्रतिबद्धता के साथ समय के सदुपयोग का, उसके यथोचित प्रबंधन का.
दिनभर में 24 घंटे का समय सबको सामान रूप से उपलब्ध है, न किसी को थोड़ा भी कम या ज्यादा. सो समय की कमी की बात करना सही नहीं लगता है. तभी तो एच जैक्सन ब्राउन फरमाते हैं, "आप यह कैसे कह सकते हैं कि आपके पास पर्याप्त समय नहीं है ? आपके पास एक दिन में उतने ही घंटे हैं, जितने हेलेन केलर, लुई पाश्चर, माइकल एंजेलो, लियोनार्डो द विंची, थॉमस जेफ़र्सन और अल्बर्ट आइंस्टीन के पास थे."
बहरहाल, समय के बारे में सबने यह सुना है, 'टाइम एंड टाइड वेट फॉर नन'. अर्थात समय और समुद्र की लहरें किसी का इन्तजार नहीं करती. ग़ालिब के इस कथन, 'मै कोई गया वक्त तो नहीं कि लौट कर वापस आ न सकूं' से स्पष्ट है कि बीते हुए समय को किसी भी तरह दोबारा हासिल करना असंभव है. लुइस ममफोर्ड ने तो समय के महत्व को समझाने के लिए इसे इन शब्दों में व्यक्त किया है ,'आधुनिक औद्योगिक युग की सबसे प्रमुख मशीन भाप का इंजन नहीं, बल्कि घड़ी है.'
विशषज्ञों का कहना है कि समय प्रबंधन दरअसल जीवन प्रबंधन का एक प्रमुख हिस्सा है. लिहाजा आवश्यकता इस बात की है कि आप पहले यह तय करें कि आपको अपने समय का सर्वथा सदुपयोग करना है. जहां चाह, वहां राह. अब जिन कार्यों को आप अहम मानते हैं यानी जो आपके लिए ज्यादा जरुरी है, उसका एक लिस्ट बना लें. अमूमन रोजाना उन कार्यों को करने के लिए कितने समय की जरुरत होगी, इसका आकलन कर उसे भी लिख लें. इसके बाद अपने मौजूदा दिनचर्या की सूक्ष्मतम समीक्षा करें और यह जानें कि दिनभर में आपके पॉजिटिव, नेगेटिव और आइडिल इंगेजमेंट कितने हैं और उसमें आपका कितना समय व्यय होता है. नेगेटिव और आइडिल इंगेजमेंट को तिलांजलि देकर पॉजिटिव कार्य के लिए अतिरिक्त समय निकालना निश्चित रूप से बुद्धिमानी और फायदे का काम है. हां, इस मामले में हर व्यक्ति की स्थिति भिन्न होगी, लेकिन फायदा तो बेशक सबको होगा.
अमूमन यह देखा गया है कि युवाओं और छात्रों का समय चार हिस्सों में बंटता है. शैक्षणिक संस्थान में, स्वाध्याय में, दैनंदिन कार्य मसलन स्नान, व्यायाम, खाने, मनोरंजन आदि में और सोने में. इन चारों कार्यकलाप में ही सामन्यतः आपका समय व्यतीत होता है, किसी में थोड़ा ज्यादा, किसी में उससे कम. दिलचस्प बात है कि ये चारों व्यस्तताएं हमारे जीवन को समग्रता में जीने के लिए जरुरी है. समयावधि बेशक परिवर्तनशील हों. उदाहरण के तौर पर परीक्षा के समय सोने और मनोरंजन में आप समय कम बिताते हैं और पढ़ने में ज्यादा.
आइये, अंत में पैरेटो के 20/80 के सिद्धांत की चर्चा भी कर लें. इस सिद्धांत के अनुसार लोग अस्सी फीसदी कार्य अपने बीस फीसदी समय में संपन्न करते हैं. दूसरे शब्दों में, लोग अस्सी फीसदी समय अपना मात्र बीस फीसदी कार्य पूरा करने में लगाते हैं. अब अगर वे लोग यह जान सकें कि वे कौन से बीस प्रतिशत कार्य हैं जिनको पूरा करने के लिए अस्सी फीसदी समय का व्यय करना पड़ता है, तो समझिये कि बेहतर समय प्रबंधन की ओर उनका पहला कदम बढ़ गया. अब अगर लोग इस समझ को दैनंदिन जीवन में अमल में ला सकें तो उनका समय प्रबंधन बेहतर से और बेहतर होता जायगा और साथ में हर क्षेत्र में उनकी उत्पादकता में इजाफा भी दर्ज होता रहेगा.
कहने की जरुरत नहीं कि कम समय में ज्यादा हासिल करनेवाला ही जीत का हकदार बनता है, चाहे वह प्रतियोगिता परीक्षा हो या अन्य कोई कार्य क्षेत्र. निःसंदेह, इसे हासिल करने के लिए तन्मयता से पढ़ने, लगातार प्रैक्टिस करने और परीक्षा में पूरे आत्मविश्वास के साथ सवालों का तय समयावधि में सही-सही उत्तर देने की जरुरत तो होगी ही.
सच कहें तो समय के महत्व की सीख हम प्रकृति से भी लें सकते हैं. देश-विदेश के महान व्यक्तियों की दिनचर्या को गौर से देखने पर भी यह आसानी से सीखने को मिल सकता है. (hellomilansinha@gmail.com)
आज के युवाओं में सामान्यतः मेधा की कमी नहीं है. और अब तो सूचना और जानकारी पाने के न जाने कितने सरल और सुलभ माध्यम उपलब्ध हैं. समय के साथ परीक्षा के तरीके भी आधुनिक तकनीक के कारण सरल और पारदर्शी हो गए हैं. कहने का अभिप्राय यह कि आज के युवा के पास संसाधन की उपलब्धता कमोबेश एक सामान है और परीक्षा में भी कोई भेदभाव नहीं. अब तो सवाल है सिर्फ तैयारी के प्रति प्रतिबद्धता के साथ समय के सदुपयोग का, उसके यथोचित प्रबंधन का.
दिनभर में 24 घंटे का समय सबको सामान रूप से उपलब्ध है, न किसी को थोड़ा भी कम या ज्यादा. सो समय की कमी की बात करना सही नहीं लगता है. तभी तो एच जैक्सन ब्राउन फरमाते हैं, "आप यह कैसे कह सकते हैं कि आपके पास पर्याप्त समय नहीं है ? आपके पास एक दिन में उतने ही घंटे हैं, जितने हेलेन केलर, लुई पाश्चर, माइकल एंजेलो, लियोनार्डो द विंची, थॉमस जेफ़र्सन और अल्बर्ट आइंस्टीन के पास थे."
बहरहाल, समय के बारे में सबने यह सुना है, 'टाइम एंड टाइड वेट फॉर नन'. अर्थात समय और समुद्र की लहरें किसी का इन्तजार नहीं करती. ग़ालिब के इस कथन, 'मै कोई गया वक्त तो नहीं कि लौट कर वापस आ न सकूं' से स्पष्ट है कि बीते हुए समय को किसी भी तरह दोबारा हासिल करना असंभव है. लुइस ममफोर्ड ने तो समय के महत्व को समझाने के लिए इसे इन शब्दों में व्यक्त किया है ,'आधुनिक औद्योगिक युग की सबसे प्रमुख मशीन भाप का इंजन नहीं, बल्कि घड़ी है.'
विशषज्ञों का कहना है कि समय प्रबंधन दरअसल जीवन प्रबंधन का एक प्रमुख हिस्सा है. लिहाजा आवश्यकता इस बात की है कि आप पहले यह तय करें कि आपको अपने समय का सर्वथा सदुपयोग करना है. जहां चाह, वहां राह. अब जिन कार्यों को आप अहम मानते हैं यानी जो आपके लिए ज्यादा जरुरी है, उसका एक लिस्ट बना लें. अमूमन रोजाना उन कार्यों को करने के लिए कितने समय की जरुरत होगी, इसका आकलन कर उसे भी लिख लें. इसके बाद अपने मौजूदा दिनचर्या की सूक्ष्मतम समीक्षा करें और यह जानें कि दिनभर में आपके पॉजिटिव, नेगेटिव और आइडिल इंगेजमेंट कितने हैं और उसमें आपका कितना समय व्यय होता है. नेगेटिव और आइडिल इंगेजमेंट को तिलांजलि देकर पॉजिटिव कार्य के लिए अतिरिक्त समय निकालना निश्चित रूप से बुद्धिमानी और फायदे का काम है. हां, इस मामले में हर व्यक्ति की स्थिति भिन्न होगी, लेकिन फायदा तो बेशक सबको होगा.
अमूमन यह देखा गया है कि युवाओं और छात्रों का समय चार हिस्सों में बंटता है. शैक्षणिक संस्थान में, स्वाध्याय में, दैनंदिन कार्य मसलन स्नान, व्यायाम, खाने, मनोरंजन आदि में और सोने में. इन चारों कार्यकलाप में ही सामन्यतः आपका समय व्यतीत होता है, किसी में थोड़ा ज्यादा, किसी में उससे कम. दिलचस्प बात है कि ये चारों व्यस्तताएं हमारे जीवन को समग्रता में जीने के लिए जरुरी है. समयावधि बेशक परिवर्तनशील हों. उदाहरण के तौर पर परीक्षा के समय सोने और मनोरंजन में आप समय कम बिताते हैं और पढ़ने में ज्यादा.
आइये, अंत में पैरेटो के 20/80 के सिद्धांत की चर्चा भी कर लें. इस सिद्धांत के अनुसार लोग अस्सी फीसदी कार्य अपने बीस फीसदी समय में संपन्न करते हैं. दूसरे शब्दों में, लोग अस्सी फीसदी समय अपना मात्र बीस फीसदी कार्य पूरा करने में लगाते हैं. अब अगर वे लोग यह जान सकें कि वे कौन से बीस प्रतिशत कार्य हैं जिनको पूरा करने के लिए अस्सी फीसदी समय का व्यय करना पड़ता है, तो समझिये कि बेहतर समय प्रबंधन की ओर उनका पहला कदम बढ़ गया. अब अगर लोग इस समझ को दैनंदिन जीवन में अमल में ला सकें तो उनका समय प्रबंधन बेहतर से और बेहतर होता जायगा और साथ में हर क्षेत्र में उनकी उत्पादकता में इजाफा भी दर्ज होता रहेगा.
कहने की जरुरत नहीं कि कम समय में ज्यादा हासिल करनेवाला ही जीत का हकदार बनता है, चाहे वह प्रतियोगिता परीक्षा हो या अन्य कोई कार्य क्षेत्र. निःसंदेह, इसे हासिल करने के लिए तन्मयता से पढ़ने, लगातार प्रैक्टिस करने और परीक्षा में पूरे आत्मविश्वास के साथ सवालों का तय समयावधि में सही-सही उत्तर देने की जरुरत तो होगी ही.
सच कहें तो समय के महत्व की सीख हम प्रकृति से भी लें सकते हैं. देश-विदेश के महान व्यक्तियों की दिनचर्या को गौर से देखने पर भी यह आसानी से सीखने को मिल सकता है. (hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com
No comments:
Post a Comment