- मिलन सिन्हा, योग विशेषज्ञ व मोटिवेशनल स्पीकर
अंत में विश्व प्रसिद्ध योग एवं आध्यात्मिक गुरु सदगुरु जग्गी वासुदेव के विचार : "भले ही आप किसी एक साधारण आसन का अभ्यास करें या योग के दूसरे आयाम को अपनाएं, सबका एकमात्र मकसद है आपके बोध को निखारना." (hellomilansinha@gmail.com)
# लोकप्रिय साप्ताहिक "युगवार्ता" के 30.06.2019 अंक में प्रकाशित
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27 सितम्बर, 2014 को हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ में रखे गए प्रस्ताव, जिसका 192 देशों ने समर्थन किया, के परिणामस्वरुप 21 जून 2015 से हर वर्ष इसी तारीख को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” मनाया जाता है. स्वाभाविक रूप से हर भारतीय के लिए यह उल्लास, उमंग और उत्सव का विशेष मौका होता है. इस वर्ष भी 21 जून को विश्व के 170 से ज्यादा देशों में इसका आयोजन होगा जिसमें करोड़ों लोग भाग लेकर योगाभ्यास करेंगे. इस मौके पर आइए जानते हैं योग विषयक कुछ विचारणीय बातें :
1. योग एक सम्पूर्ण विज्ञान है.
2. योग हमेशा योग्य प्रशिक्षक के मार्ग दर्शन में ही सीखें.
3. योग सिर्फ कुछ क्रियाओं का अभ्यास नहीं, सम्पूर्ण जीवनशैली है
4. जितनी नियमितता, तन्मयता और निष्ठा से योगाभ्यास करेंगे, उतना ही अधिक लाभ होगा.
5. योग हर अच्छाई से जुड़ने, जोड़ने और जीवन में संतुलन कायम करने का दूसरा नाम है. सच कहें तो यह सबकी भलाई का समावेशी विचार है.
6. आसन के बाद और ध्यानाभ्यास से पहले प्राणायाम करना चाहिए.
7. योगाभ्यास हमेशा खुले और साफ़-सुथरे परिवेश में करें.
8. योगाभ्यास से पूर्व शौच आदि से निवृत हो लें. खाली पेट और खुले मन से योगाभ्यास करना बेहतर.
9. सारी योग क्रियाएं सामान्य गति से करें, किसी झटके से नहीं.
10. योग कोई धार्मिक कर्म-काण्ड नहीं है. यह स्वस्थ जीवन जीने की प्राकृतिक कला है.
अब जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण योग क्रिया और रोगोपचार :
1. योग क्रिया: भ्रामरी प्राणायाम
किस-किस रोग में लाभप्रद: स्ट्रेस, हाई बीपी, गले का रोग
विधि: किसी भी आरामदायक आसन जैसे सुखासन, अर्धपद्मासन में बैठ जाएं. मेरुदंड सीधा रखें. शरीर को ढीला छोड़ दें. आंख बंद कर लें. अब प्रथम अँगुलियों से दोनों कान बंद कर लें. दीर्घ श्वास ले और भौंरे की तरह ध्वनि करते हुए मस्तिष्क में इन ध्वनि तरंगों का अनुभव करें. यह एक आवृत्ति है . इसे 5 आवृत्तियों से शुरू कर यथासाध्य रोज बढ़ाते रहें. रोजाना 10 मिनट तक करें तो बेहतर परिणाम मिलेंगे.
अवधि: रोजाना 5-10 मिनट रोजाना
सावधानी: जल्दबाजी न करें. श्वास क्रिया व ध्वनि लयबद्ध हो
2. योग क्रिया: पश्चिमोत्तानासन
किस-किस रोग में लाभप्रद: मधुमेह (डायबिटीज), मोटापा, कब्ज,
विधि: दोनों हथेलियों को जांघ पर रखते हुए पांवों को सामने फैला कर सीधा बैठ जाएं. श्वास छोड़ते हुए सिर को धीरे-धीरे आगे की ओर झुकाते हुए हाथ की अंगुलियों से पैर के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें और माथे को घुटने से स्पर्श करने दें. शुरू में जितना झुक सकते हैं, उतना ही झुकें. थोड़ी देर अंतिम स्थिति में रहें और फिर श्वास लेते हुए प्रथम अवस्था में लौटें. इसे 5-10 बार करें.
अवधि: रोजाना 5-8 मिनट
सावधानी: पीठ दर्द, साइटिका और उदर रोग से पीड़ित लोग इसे न करें.
3. योग क्रिया: उज्जायी प्राणायाम
किस-किस रोग में लाभप्रद: ह्रदय रोग, स्ट्रेस (तनाव), हाई बीपी
विधि: आराम के किसी भी आसन में सीधा बैठ जाएं. शरीर को ढीला छोड़ दें. अब अपने जीभ को मुंह में पीछे की ओर इस भांति मोड़ें कि उसके अगले भाग का स्पर्श ऊपरी तालू से हो. अब गले में स्थित स्वरयंत्र को संकुचित करते हुए मुंह से श्वसन करें और और अनुभव करें कि श्वास क्रिया नाक से नहीं, बल्कि गले से संपन्न हो रहा है. ध्यान रहे कि श्वास क्रिया गहरी, पर धीमी हो. इसे 10-20 बार करें.
अवधि: रोजाना 5-8 मिनट
सावधानी: जल्दबाजी न करें. मन को श्वास क्रिया पर केन्द्रित करें
4. योग क्रिया: भुजंगासन
किस-किस रोग में लाभप्रद: पीठ व कमर दर्द, किडनी रोग, अनियमित मासिक धर्म
विधि: पांव को सीधा करके पेट के बल लेट जाएं. माथे को जमीन से सटने दें. हथेलियों को कंधे के नीचे जमीन पर रखें. अब श्वास लेते हुए धीरे-धीरे सिर तथा कंधे को हाथों के सहारे जमीन से ऊपर उठाइए. सिर और कंधे को जितना पीछे की ओर ले जा सकें, ले जाएं. ऐसा लगे कि सांप अपना फन उठाये हुए है. श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे वापस प्रथम अवस्था में लौटें. इसे 5 बार दोहरायें.
अवधि: रोजाना 5 मिनट
सावधानी: हर्निया, आंत संबंधी रोग से ग्रसित लोग इसे न करें.
5. योग क्रिया: शशांक आसन
किस-किस रोग में लाभप्रद: गुर्दा रोग (किडनी प्रॉब्लम),साइटिका, कब्ज
विधि: वज्रासन यानी घुटनों के बल पंजों को फैला कर सीधा ऐसे बैठें कि घुटने पास-पास एवं एड़ियां अलग-अलग रहे. हथेलियों को घुटनों पर रखें. श्वास लेते हुए धीरे-धीरे हांथों को ऊपर उठाएं. अब श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे धड़ को सामने की ओर पूरी तरह झुकाएं जिससे कि माथा और सामने फैले हाथ जमीन को स्पर्श करें. उस अवस्था में थोड़ी देर रुकें. अब श्वास लेते हुए धीरे-धीरे प्रथम अवस्था में लौटें. इसे रोजाना 10 बार करें.
अवधि: रोजाना 6-8 मिनट
सावधानी: स्लिप डिस्क से पीड़ित लोग इसका अभ्यास न करें.
6. योग क्रिया: अनुलोम-विलोम प्राणायाम
किस-किस रोग में लाभप्रद: सिरदर्द, माइग्रेन, उच्च रक्तचाप, न्यूरो प्रॉब्लम
विधि: सुखासन, अर्धपद्मासन या पद्मासन में सीधा बैठ जाएं. शरीर को ढीला छोड़ दें. हाथों को घुटने पर रख लें. आँख बंद कर लें और श्वास को आते-जाते महसूस करें. अब दाहिने हाथ के प्रथम और द्वितीय अँगुलियों को ललाट के मध्य बिंदु पर रखें और तीसरी अंगुली (अनामिका) को नाक के बायीं छिद्र के पास और अंगूठे को दाहिने छिद्र के पास रखें. अब अंगूठे से दाहिने छिद्र को बंद कर बाएं छिद्र से दीर्घ श्वास लें और फिर अनामिका से बाएं छिद्र को बंद करते हुए दाहिने छिद्र से श्वास को छोड़ें. इसी भांति अब दाहिने छिद्र से श्वास लेकर बाएं से छोड़ें. यह एक आवृत्ति है. इसे कम –से-कम 10 बार करें.
अवधि: रोजाना 5-7 मिनट
सावधानी: जल्दबाजी या बलपूर्वक न करें. मन को श्वास क्रिया पर केन्द्रित करें
अंत में विश्व प्रसिद्ध योग एवं आध्यात्मिक गुरु सदगुरु जग्गी वासुदेव के विचार : "भले ही आप किसी एक साधारण आसन का अभ्यास करें या योग के दूसरे आयाम को अपनाएं, सबका एकमात्र मकसद है आपके बोध को निखारना." (hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
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