Saturday, February 24, 2018

यात्रा के रंग : भारत-चीन सीमा की ओर -1

                                                                         - मिलन  सिन्हा
...गतांक से आगे... कहते हैं न कि ‘दिल है कि मानता नहीं’ या यूँ कहें कि यह दिल मांगे मोर. आखिर क्यों न मांगे ? सच तो यह है कि आपका, हमारा - सबका दिल कुछ और भी देखना चाहता है. दिल मांगे मोर.... तो हम सुबह-सुबह ही निकल पड़े एक बेहद रोमांचक यात्रा पर.

आज हमारे सारथी थे दिलीप, अपनी टाटा सूमो गाड़ी के साथ. गंगटोक में पले-बढ़े दिलीप अपने कॉलेज के दिनों और उसके बाद भी राजनीतिक कार्यकर्त्ता के रूप में काफी सक्रिय रहे. परिवार की जिम्मेदारी आने के बाद से वे इस काम में लगे हैं, लेकिन राजनीतिक रूप से पूर्णतः जागरूक हैं. उनके पास सिक्किम के सभी बड़े राजनीतिक पार्टियों और उनके सभी बड़े नेताओं के कार्य-कलाप की अच्छी और ताजा जानकारी है. मुझे ये बातें दिलीप से चंद मिनट की बातचीत से पता चल गया. ऐसे अभी उसकी पत्नी एक बड़े पार्टी की सक्रिय मेम्बर है. दिलीप के साथ वार्तालाप से मुझे मोटे तौर पर सिक्किमवासियों के रहन-सहन, खान-पान आदि के बाबत भी काफी जानकारी मिली. मसलन, सामान्यतः आम सिक्किमवासी सफाई पसंद है, बेटा-बेटी में फर्क नहीं करते, बच्चों की शिक्षा के प्रति जागरूक हैं, अधिकांश लोग मांसाहारी हैं, आदि. जानना दिलचस्प है कि 2011 के जनगणना के अनुसार सिक्किम में साक्षरता दर 82 प्रतिशत है, जो कि कर्नाटक, पश्चिम  बंगाल और तमिलनाडू से भी बेहतर है. उत्तर प्रदेश, ओड़िशा, झाड़खंड और  बिहार से तो बहुत आगे है. सिक्किम देश का पहला राज्य है जो खुले में शौच से मुक्त बना. जैविक खेती करने के मामले में भी सिक्किम को देश का पहला राज्य बनने का गौरव प्राप्त है. 

गंगटोक से बाहर निकलते ही जवाहरलाल रोड पर हमें दो चेक पोस्ट पर रुकना पड़ा. सभी गाड़ियों को रुकना पड़ता है वहां.  उस रास्ते से भारत –चीन सीमा की ओर जानेवाले हर यात्री के पहचान पत्र और परमिट की पूरी जांच होती है –नियमपूर्वक बिना किसी भेदभाव के और बिना किसी लेनदेन के. गाड़ी के चालकों के लिए यह उनके रूटीन का हिस्सा है, लेकिन पर्यटकों के लिए एक नया अनुभव. हमारे गाड़ी के मालिक -सह-चालक दिलीप ने बताया कि जितनी गाड़ियां और जितने यात्री सुबह इधर से सीमा की ओर जाते हैं, वे सभी गाड़ियां एवं यात्री शाम को उधर से वापस आये कि नहीं इसका पूरा हिसाब रक्खा जाता है. कहीं  हेरफेर होने पर तुरत उसका संज्ञान लिया जाता है, त्वरित कार्रवाई की जाती है. हो भी क्यों नहीं, आखिर देश की सुरक्षा के साथ-साथ एक-एक यात्री की सुरक्षा-संरक्षा  का सवाल जो है.        .... आगे  जारी ...             (hellomilansinha@gmail.com)                                                                                                
                       और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं
# साहित्यिक पत्रिका 'नई धारा' में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com

No comments:

Post a Comment