- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर....
बच्चे देश का भविष्य होते हैं . हमारे देश की आबादी का 20 %
हिस्सा स्कूली बच्चों का है, यानी 25 करोड़ से भी ज्यादा. लिहाजा, हमारे बच्चों को
शिक्षित करने के साथ–साथ तन्दुरस्त बनाए रखना अनिवार्य है, तभी आने वाले समय में
वे एक समर्थ इंसान के रूप में जीवन की तमाम चुनौतियों से निबटते, अपनी जिम्मेदारियों को निबाहते हुए समाज एवं देश को भी मजबूत बना पायेंगे. लेकिन ऐसा
कैसे संभव होगा ?
निसंदेह, इसके लिए बच्चों को एक सरल, सक्रिय व सामान्य
जिंदगी जीने का अवसर देना होगा. कहने का
तात्पर्य यह कि हमारे बच्चों को पौष्टिक खानपान,
समुचित पढ़ाई एवं शारीरिक सक्रियता के प्रति निरंतर जागरूक करते हुए
जीवनशैली प्रबंधन के महत्व को समझाना होगा. जीवनशैली प्रबंधन
से बच्चे न केवल उर्जा, उमंग व उत्साह से लबरेज होकर अपने
छोटे –बड़े लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम हो पायेंगे, बल्कि ज्यादा स्वस्थ व आनंदित भी रहेंगे . तो आइये, जानते है जीवनशैली प्रबंधन से जुड़ी कुछ मूल
बातें :
1.जल का फल
जानकार बताते हैं,
शरीर जितना हाइड्रेटेड रहेगा, हम उतना ही स्वस्थ रहेंगे. हमें रोजाना 3-4 लीटर पानी पीना चाहिए. हाँ, पीना चाहिए, गटकना
नहीं. पीने का अर्थ है धीरे -धीरे जल ग्रहण करना और वह भी बैठ कर आराम से. इतना ही नहीं, हम कब -कब और
कितना पानी पीते हैं, इसका भी हमारे
सेहत से गहरा ताल्लुक है. रोज सुबह ब्रश करने के बाद कम से कम आधा लीटर गुनगुना पानी पीना हमारे अंदरूनी सफाई के लिए बहुत कारगर है.
2.आहार
– क्या और कितना ? क्या हम जीने के लिये खाते हैं या खाने के लिये जीते हैं ?
क्या आपलोग रोजाना
हेल्दी इटिंग करते हैं? सच पूछें तो जीभ को संतुष्ट करने के चक्कर में जाने–अनजाने बहुत सारे बच्चे जंक,
बाजारू एवं प्रोसेस्ड चीजें खाते रहते हैं जिसका बुरा
असर उनके
स्वास्थ्य पर पड़ना
लाजिमी है, जब कि घर में
तैयार पौष्टिक आहार से प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटामिन, मिनिरल
आदि पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है जो हमें शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए काफी है. एक बात और. भारतीय आहार पद्धति की बात करें तो हम कह सकते हैं कि यह कमोवेश स्थान विशेष की जलवायु, भौगोलिक-सामाजिक स्थिति आदि पर आधारित रही है. विभिन्न मौसम में विभिन्न प्रकार के अन्न,फल व सब्जी की बाजार में उपलब्धता इस बात को रेखांकित करती है कि उस मौसम के अनुकूल उनका सेवन सेहत के लिए कितना फायदेमंद है.
3. व्यायाम व खेलकूद के
फायदे अनेक
सच पूछिये
तो व्यायाम व खेलकूद सामान्य शारीरिक क्रियाएं हैं, पर इसके परिणाम अत्यन्त ही बहुआयामी व दूरगामी होते हैं.
विशेषज्ञ कहते है कि इन गतिविधियों से हमारे
शरीर में फील -गुड एवं फील -हैप्पी हॉर्मोन
का स्राव भी होता है जो हमें मानसिक रूप से प्रसन्न रखता है. सभी जानते हैं कि खेलकूद का बच्चों और युवाओं के सर्वांगीण विकास में कितना सकारात्मक योगदान रहता है. योजना, कार्यन्वयन, समय प्रबंधन, टीम वर्क जैसे अहम नेतृत्व क्षमताओं को विकसित करने का अवसर खेल के मैदान में अनायास ही मिल जाता है. बच्चों को सामाजिक, नैतिक, बौद्धिक और भावनात्मक रूप से मजबूत एवं परिपक्व बनाने में इसका कोई जोड़ नहीं.
4.सोने की अहमियत
दरअसल, नींद हमारी जरुरत नहीं, आवश्यकता है. नींद के दौरान शरीर रूपी इस जटिल, किन्तु अदभुत मशीन की रोजाना सफाई व रिपेयरिंग आदि होती रहती है . तभी
तो दिनभर की व्यस्तता के कारण जो थकान महसूस होती है वह रात भर की नींद से काफूर
हो जाती है और हम हर सुबह तरोताजा महसूस करते हैं.
5. योग
और ध्यान – अनेक समस्याओं का निदान
योग व ध्यान हमारे
जीवनशैली
वह अहम हिस्सा है जो जीवन
के प्रति हमारे दृष्टिकोण को व्यापक व समग्र बनाता है; जिसके कारण हम दूसरों की समस्याओं को
अधिक आसानी से
समझने तथा उसका समाधान ढूंढने लायक बन पाते हैं. जानकार-समझदार लोग भी श्वास की महत्ता को बखूबी समझते हैं और उसकी तार्किक व्याख्या भी करते हैं. यही कारण है कि वे प्राकृतिक परिवेश में विभिन्न ब्रीदिंग एक्सरसाइज का लाभ उठाते हैं. और-तो-और योग और ध्यान के जरिए हम निराशा, तनाव (स्ट्रेस) एवं अवसाद (डिप्रेशन) से
निजात पा सकते हैं .
6. पढ़ाई और परीक्षा पर एक नजर
कई बार हम देखते हैं कि कमोबेश एक ही तरह के मेधा से लैस और
समान मेहनत करने वाले दो छात्रों में एक परीक्षा में सफल हो जाता है, जब कि दूसरा काफी पीछे रह जाता है. देखने
वाले सोचते हैं कि दोनों छात्रों ने जब बराबर ही मेहनत की है, दोनों ही पढ़ने में अच्छे रहे हैं, तो आखिर रिजल्ट
में ऐसा फर्क कैसे रह गया ? वाकई फर्क पढ़ने के घंटे में नहीं,
बल्कि तन्मयता से पढ़ने, पढ़ी हुई बातों को
दिमाग में संजो कर रखने एवं परीक्षा में प्रश्नानुसार सही –सही
उत्तर देने के बीच के बेहतर समन्वय –सामंजस्य में है.
सामान्यतः पढ़ने, दिमाग में रख पाने तथा
इम्तहान में उसका उपयोग करने का अनुपात 10 : 6 : 3 होता है.
अच्छे विद्यार्थी इस अनुपात को बेहतर बनाने की निरंतर कोशिश करते
हैं . वे दूसरे विद्यार्थी के तरह रोजाना पढ़ते तो 8
-10 घंटा ही हैं, लेकिन वे पढ़ते हैं योजनाबद्ध
तरीके से जिसमें खाने, खेलने, सोने आदि को भी पर्याप्त
तबज्जो दी जाती है. ऐसे
विद्यार्थी न केवल समय प्रबंधन में कुशल होते हैं, बल्कि अपने
लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध भी.
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com
No comments:
Post a Comment