Tuesday, September 8, 2015

आज की कविता : बंधक

                                                                           - मिलन  सिन्हा 
बंधक 
उसने 
अपने सारे संबंधों को 
बंधक रख दिया 
बदले में 
ढेर सारा धन जुटा लिया 
और 
उस धन से 
अनेक नश्वर वस्तुएं ले आया 
सुख के साधन मिल गए 
खुशी नहीं मिली 
समय ने करवट ली 
न अब इस घाट के रहे 
न उस घाट के।

              और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

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