Saturday, October 18, 2014

मोटिवेशन : इस बार पटाखे रहित दीवाली, प्लीज

                                                                                - मिलन सिन्हा 
आनन्द, उल्लास एवं प्रकाश का पर्व दीपावली सामने है। अंधकार पर प्रकाश की विजय के इस  त्योहार को पूरे देश  के हर गाँव -शहर में  मिलजुल कर मनाने की गौरवशाली परम्परा रही है। इस पावन मौके पर बच्चे और युवा ही क्यों, घर के बड़े -बूढ़े भी उत्साह व उमंग से भरे नजर आते हैं। लेकिन पिछले कई वर्षों से इस पावन उत्सव के साथ ध्वनि प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण का  गंभीर  जुड़ाव स्पष्ट दिखाई पड़ रहा  है, जो वाकई चिन्ता का विषय है। दरअसल, पटाखे आदि के बढ़ते प्रयोग से शोर तो होता है, साथ में धुंए के रूप में अनेक हानिकारक गैस हमारे पर्यावरण को और भी दूषित करते हैं। ज्ञातव्य है कि अनेक जाने -पहचाने कारणों से हमारे देश में ध्वनि/वायु प्रदूषण जानलेवा स्तर तक पहुँचने लगा है। परिणामस्वरूप, एक बड़ी आबादी दमा, हृदय रोग, कैंसर, चर्म रोग आदि से ग्रस्त हैं । गर्ववती महिलाएं और पांच साल तक के बच्चे ऐसे  प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित होते हैं। इतना ही नहीं, इससे पशु-पक्षी एवं वनस्पति तक को गहरी क्षति होती है। देश की राजधानी दिल्ली तो विश्व के कुछ सबसे बड़े प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है। तो आखिर क्या करें? इस बार भी पटाखे व आतिशबाजी के खेल में चाहे -अनचाहे शामिल रहें  या  इस नुकसानदेह  ट्रेंड को रोकने  के लिए व्यक्तिगत एवं सामजिक स्तर पर कुछ पहल करें और उन तमाम कोशिशों को अंजाम तक पहुँचाने  में बढ़-चढ़ कर भाग लें। हाँ, सरकार को भी इससे संबंधित कानूनी प्रावधानों को  सख्ती से लागू करने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से मजबूर करने की जरुरत तो है ही। बहरहाल, ख़ुशी की बात है कि पटना सहित देश के अनेक भागों में हमारे स्कूली बच्चे इस बार और भविष्य में हर बार ग्रीन दीवाली मनाने का संकल्प ले रहे हैं। बच्चों ने प्रदूषण रहित दीवाली मनाने के लिये अन्य लोगों से अपील करने का फैसला भी किया है जो एक सराहनीय शुरुआत है। आशा है, हम सबका सम्मिलित प्रयास "नो क्रैकर" अभियान को आगे बढ़ाने में जरूर कामयाब होगा जिससे सबकी दीवाली स्वस्थ, शुभ और आनन्दमय हो सके 

            और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

Tuesday, October 14, 2014

आज की कविता : जगत मिलन

                                                                  - मिलन सिन्हा 
adventurer

जगत मिलन 

सख्त चेहरा था उसका 
पत्थर जैसा 
झांक कर देखा अंदर 
बच्चों -सा दिल 
मोम -सा पिघलने लगा 
संकल्प था उसके मन में 
सपना सबका पूरा करूँगा 
मिलन का वातावरण होगा 
हर होंठ पर स्मिति ला दूंगा 
शालीन बनकर साथ रहूँगा। 

                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :07.06.2014

Sunday, October 12, 2014

मोटिवेशन : परिवर्तन स्थायी है

                                                          - मिलन सिन्हा
clipसमय बदलता रहता है और बदलता रहता है हम सबका जीवन। आम तौर पर  परिवर्तन के साथ अनिश्चितता और शंका -आशंका तो होती है, पर साथ होता है अनजाने- अनदेखे के प्रति जिज्ञासा व उत्साह भी। ऐसे में, परिवर्तन निराशा व भय से भरा हो सकता है, तो ऊर्जा एवं उम्मीद से भरा भी। परन्तु, यह जरूर हमारे अख्तियार में होता है कि हम इसे सकारात्मक रूप से लेते हैं या फिर नकारात्मक तौर पर। जो भी हो, दिलचस्प बात यह है कि  परिवर्तन हमें  जड़ता व 'कम्फर्ट जोन' से बाहर निकलने का अवसर देता है और कई बार मजबूर भी करता है। देखिये न, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र संघ में दिये गए हमारे प्रधानमंत्री के भाषण में भी परिवर्तन को अंगीकार कर एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने का आह्वान किया गया। 

शाश्वत सत्य यह है कि परिवर्तन एक स्थायी प्रक्रिया है। लिहाजा, परिवर्तन के प्रति अपने नजरिये को परिवर्तित करना जरुरी होता है। देखें तो ऐसा हम सब सुबह से शाम तक करने की कोशिश भी करते हैं। घर हो या दफ्तर, स्कूल या कॉलेज, अस्पताल  या  बाजार  हर जगह  हमारा रोज कितने प्रकार के बदलावों से सामना होता  है, उनसे हमें निबटना पड़ता है। बेशक ये बदलाव छोटे -मोटे  तथा  जाने-पहचाने  होते हैं, लिहाजा  हमें परेशान नहीं करते। हम इनसे आसानी से पार पा लेते हैं। हाँ, ये सही है कि बड़े परिवर्तन हमारे लिये कठिनाई पैदा करते हैं। लेकिन यह भी तो सही है कि अगर कठिनाई है तो उसका कोई-न-कोई  निदान भी है। और फिर कठिनाई के उस पार संघर्ष से अर्जित उपलब्धि का आनन्द भी तो होता है। सो, करना यह चाहिए कि हर ऐसे बदलाव से जुड़े तथ्यों की जानकारी पाने की कोशिश करें; इसके सकारात्मक पक्ष को देखें; बदलाव को भावनात्मक स्तर पर लेने के बजाय पेशेवर तरीके से लें आदि, आदि । ऐसा पाया गया है कि ऐसे मौकों पर जो लोग व्यक्तिगत हठ छोड़कर मानसिक रूप से लचीला बने रहते हैं, उनके लिये परिवर्तन को एन्जॉय करना आसान हो जाता है देश-विदेश के अनेक राजनीतिक नेता इसके बेहतर उदाहरण रहे हैं।  

              और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

# 'प्रभात खबर' के मेरे संडे कॉलम, 'गुड लाइफ' में प्रकाशित, दिनांक : 12.10.2014

Friday, October 3, 2014

आज की कविता : जीवन के बीज

                                                        - मिलन सिन्हा 
blue sky grass trees hd picture

जीवन के बीज

बारिश होती है 
भागता है शहरी 
तलाशता है छत 
पीता  है चाय 

बारिश होती है
झूमता है देहाती 
बाहर आता है छोड़कर छत 
बोता है जीवन के बीज।


               और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :07.06.2014