- मिलन सिन्हा
आनन्द, उल्लास एवं प्रकाश का पर्व दीपावली सामने है। अंधकार पर प्रकाश की विजय के इस त्योहार को पूरे देश के हर गाँव -शहर में मिलजुल कर मनाने की गौरवशाली परम्परा रही है। इस पावन मौके पर बच्चे और युवा ही क्यों, घर के बड़े -बूढ़े भी उत्साह व उमंग से भरे नजर आते हैं। लेकिन पिछले कई वर्षों से इस पावन उत्सव के साथ ध्वनि प्रदूषण एवं वायु प्रदूषण का गंभीर जुड़ाव स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है, जो वाकई चिन्ता का विषय है। दरअसल, पटाखे आदि के बढ़ते प्रयोग से शोर तो होता है, साथ में धुंए के रूप में अनेक हानिकारक गैस हमारे पर्यावरण को और भी दूषित करते हैं। ज्ञातव्य है कि अनेक जाने -पहचाने कारणों से हमारे देश में ध्वनि/वायु प्रदूषण जानलेवा स्तर तक पहुँचने लगा है। परिणामस्वरूप, एक बड़ी आबादी दमा, हृदय रोग, कैंसर, चर्म रोग आदि से ग्रस्त हैं । गर्ववती महिलाएं और पांच साल तक के बच्चे ऐसे प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित होते हैं। इतना ही नहीं, इससे पशु-पक्षी एवं वनस्पति तक को गहरी क्षति होती है। देश की राजधानी दिल्ली तो विश्व के कुछ सबसे बड़े प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है। तो आखिर क्या करें? इस बार भी पटाखे व आतिशबाजी के खेल में चाहे -अनचाहे शामिल रहें या इस नुकसानदेह ट्रेंड को रोकने के लिए व्यक्तिगत एवं सामजिक स्तर पर कुछ पहल करें और उन तमाम कोशिशों को अंजाम तक पहुँचाने में बढ़-चढ़ कर भाग लें। हाँ, सरकार को भी इससे संबंधित कानूनी प्रावधानों को सख्ती से लागू करने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से मजबूर करने की जरुरत तो है ही। बहरहाल, ख़ुशी की बात है कि पटना सहित देश के अनेक भागों में हमारे स्कूली बच्चे इस बार और भविष्य में हर बार ग्रीन दीवाली मनाने का संकल्प ले रहे हैं। बच्चों ने प्रदूषण रहित दीवाली मनाने के लिये अन्य लोगों से अपील करने का फैसला भी किया है जो एक सराहनीय शुरुआत है। आशा है, हम सबका सम्मिलित प्रयास "नो क्रैकर" अभियान को आगे बढ़ाने में जरूर कामयाब होगा जिससे सबकी दीवाली स्वस्थ, शुभ और आनन्दमय हो सके ।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।