- मिलन सिन्हा
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित
खस्ता हाल
साल दर साल
क्या करे मजदूर -किसान
हैं सब बहुत परेशान
या तो बाढ़
या फिर सूखा
आधी उम्र
गरीब रहता है भूखा
हर गाँव में महाजन
देते ऊँचे ब्याज पर रकम
पर कैसे चुकाए उधार
कहाँ मिले रोजगार
बेचना पड़े घर - द्वार
शहर भी कहाँ खुशहाल
गरीब यहाँ भी बदहाल
सड़क के साथ चलता
उफनता बदबूदार नाला
फूटपाथ पर रहते लोग
बड़े घरों में पड़ा ताला
स्वछन्द विचरते
गाय, सूअर , कुत्ते
जहाँ -तहाँ, इधर -उधर
हर वक्त, बेरोकटोक
न जाने और कितने साल
रहने को अभिशप्त हैं ये लोग !
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते। असीम शुभकामनाएं।
# प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित
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