- मिलन सिन्हा, हेल्थ मोटिवेटर एंड वेलनेस कंसलटेंट
देश में ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. बीते वर्षों में बड़ी संख्या में युवा भी इसके चपेट में आ रहे हैं. यह गंभीर चिंता का विषय है. दुःख की बात है कि समुचित जागरूकता के अभाव में ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण की समय रहते पहचान नहीं हो पाती है जिसके कारण अधिकतर लोग अस्पताल या डॉक्टर तक नहीं पहुंच पाते हैं और फलतः विकलांगता या मौत के शिकार हो जाते हैं. आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल 18 लाख से ज्यादा लोग ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं. दरअसल, ब्रेन में ब्लड क्लोटिंग या धमनियों के फटने पर होने वाले अधिक रक्तस्राव के कारण ऐसा होता है. इससे ब्रेन में ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और ब्रेन का कार्य प्रणाली बाधित होती है. मिनटों में ब्रेन सेल्स को बहुत क्षति होती है. यह एक मेडिकल इमरजेंसी है और त्वरित उपचार से समस्या का निराकरण संभव है.
ब्रेन स्ट्रोक से शारीरिक नुकसान
ब्रेन स्ट्रोक के कारण व्यक्ति को चलने, बोलने, सुनने, खाने-पीने, हंसने, याद रखने, शरीर के अंगों पर नियंत्रण रखने में समस्या हो सकती है. ब्रेन स्ट्रोक के गंभीर मामलों में मौत का खतरा भी रहता है.
ब्रेन स्ट्रोक के कुछ मुख्य कारण
उच्च रक्त चाप, मधुमेह, मानसिक तनाव, डिप्रेशन, धुम्रपान व शराब की लत इसके मुख्य कारण हैं.
ब्रेन स्ट्रोक के प्रमुख लक्षण
शारीरिक संतुलन न रख पाना, अचानक देखने में दिक्कत होना, चेहरे में विकार या टेड़ापन होना, हाथों को ऊपर न उठा पाना, बोलने या हंसने में तकलीफ होना.
ब्रेन स्ट्रोक से बचे रहने के उपाय
संतुलित जीवनशैली अपनाएं, जिसमें संतुलित आहार, शारीरिक व्यायाम, योगाभ्यास व ध्यान, रात में 7-8 घंटे की अच्छी नींद शामिल हो. इसके साथ-साथ स्ट्रेस को मैनेज करना और खुश रहना सीखें. पोटैशियम और मैग्नीशियम युक्त फल और सब्जियों, जैसे पालक, टमाटर, शकरकंद, सेब, अनार, तरबूज, अखरोट, आलमंड को दैनिक आहार का अहम हिस्सा बनाएं. फ्रोजेन, प्रोसेस्ड, जंक, पैकेज्ड एवं फ्राइड फ़ूड से बचें.
ब्रेन स्ट्रोक के मामले का मेडिकल उपचार
जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. यू. के. मिश्रा के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं. पहले को ब्रेन हैमरेज और दूसरे को इसकेमिक स्ट्रोक कहते हैं. ब्रेन स्ट्रोक के ज्यादातर मामले दवाओं और इंजेक्शन से ठीक कर लिए जाते है. लेकिन इसके अच्छे परिणाम तभी मिलते हैं, जब रोगी को चार घंटे के अंदर उपचार मिल जाता है.
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और भी बातें करेंगे, चलते-चलते. असीम शुभकामनाएं. # "दैनिक भास्कर " में 29.10.22 को प्रकाशित
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