- मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल स्पीकर एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट कंसलटेंट
135 करोड़ की आबादीवाले हमारे देश में युवाओं की संख्या सबसे ज्यादा है. स्वाभाविक रूप से उनके लिए शिक्षा के साथ-साथ नौकरी, रोजगार, व्यवसाय, व्यापार, उद्यमिता आदि के मायने अहम हैं. हर दृष्टि से बदलाव के स्वर्णिम दौर से गुजरते भारत में विकास की गति अपेक्षाकृत ज्यादा तेज है. युवाओं में नौकरी से स्व-रोजगार की ओर उन्मुख होने के मामले में भी यह स्पष्ट है और स्टार्टअप की बढ़ती संख्या इसका प्रमाण. गौर करनेवाली बात है कि पिछले कुछ वर्षों में युवाओं में एंटरप्रेन्योरशिप के प्रति बढ़ते रुझान के कारण देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम में अच्छी उन्नति देखी गई है. अवसर, जोखिम, संभावना, नवाचार आदि के प्रति उनके सकारात्मक जज्बे के कारण यह विश्वास निरंतर मजबूत हो रहा है. टेक्नोलॉजी का सपोर्ट भी देश में स्टार्टअप की वृद्धि को गति प्रदान कर रहा है. इंटरनेट की सुलभता, इसका उपयोग करने वालों की संख्या में तेज वृद्धि और इंटरनेट चार्जेज में कमी ने स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूती प्रदान की है.
खुशी और गर्व की बात है कि देश में तकनीक का समावेश और उपयोग जितनी तेजी से बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से यूनिकॉर्न स्टार्टअप की संख्या में भी वृद्धि हो रही है. यूनिकॉर्न स्टार्टअप का मतलब ऐसा स्टार्टअप है जिसका वैल्यूएशन एक अरब डॉलर तक पहुंच गया हो. 10 अरब डॉलर के वैल्यूएशन से अधिक के स्टार्टअप को डेकाकॉर्न कहा जाता है और 100 अरब डॉलर के वैल्यूएशन तक पहुंचने वाले स्टार्टअप को हेक्टोकॉर्न. वेंचर कैपिटल इंडस्ट्री में इन शब्दों का प्रयोग किया जाता है. उपभोक्ता की जरुरत, सुविधा और प्रोडक्ट की प्राइसिंग को केन्द्र में रख कर उत्तम बदलाव व नवाचार के माध्यम से हर यूनिकॉर्न, डेकाकॉर्न या हेक्टोकॉर्न ने सफलता की उच्च मंजिल को हासिल किया है. कहने की जरुरत नहीं कि देश के स्टार्टअप जैसे फ्लिपकार्ट, पेटीएम, ओला कैब या जोमैटो ने जिस तरह हमारे शॉपिंग, पेमेंट, आवागमन या खाने के सिस्टम व कल्चर को चेंज किया, उससे उनके डायनामिक बिज़नस मॉडल की पुष्टि होती है.
यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने वाला भारत का पहला स्टार्टअप इनमोबी था जिसे 2011 में यह सम्मान हासिल हुआ था. 2011 से 2014 के बीच देश का केवल चार स्टार्टअप ही यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो पाया. उसके बाद इसमें वृद्धि तेज हुई और 2020 तक यह संख्या बढ़कर 37 तक पहुंच गई. काबिलेगौर तथ्य यह है कि इंडियन स्टार्टअप्स के लिए 2021 का साल अब तक बेहतरीन और बहुत उत्साहवर्धक रहा है. इस साल यानी वर्ष 2021 के पहले दस महीने में फर्स्ट क्राई, मीशो, फार्म इजी, ग्रो, भारत पे, अपग्रेड, ब्लैक बक, ऑफ बिज़नेस, ग्रोफर्स, कारदेखो सहित अब तक भारत के 33 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो चुके हैं. अगर इसी गति से स्टार्टअप की यात्रा आगे बढ़ती रही तो ये संख्या साल के अंत तक 40 से ज्यादा हो जाएगी.
ज्ञातव्य है कि स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसकी घोषणा 15 अगस्त, 2015 को प्रधान मंत्री, नरेंद्र मोदी ने लाल किले से की थी. इसका उद्देश्य देश में स्टार्टअप्स और नये विचारों के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम का निर्माण करना है जिससे देश का आर्थिक विकास हो एवं बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सके. हाल ही में नैसकॉम के टेक्नोलॉजी एंड लीडरशिप फोरम को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि इस समय दुनिया भारत की तरफ अधिक भरोसे और उम्मीद से देख रही है. कोरोना महामारी के इस दौर में भारत के ज्ञान-विज्ञान और टेक्नोलॉजी ने न केवल खुद को साबित किया है बल्कि खुद को इवॉल्व भी किया है. ऐसे में स्टार्टअप को ऐसे इंस्टीट्यूशंस का निर्माण करना चाहिए जो ऐसे विश्व स्तरीय उत्पाद तैयार करे जो उत्कृष्टता के मामले में एक बेहतर मानक स्थापित कर सके.
यह सर्वमान्य तथ्य है कि तेज आर्थिक विकास और हमारी विशाल जनसंख्या देश को एक बड़ा उपभोक्ता बाजार बनाती है. स्टार्टअप के लिए यहां अपार अवसर और संभावना है. देश के युवाओं ने इसे पहचाना है और अब बड़ी संख्या में युवा इस दिशा में अग्रसर हो रहे हैं. आज जरुरत इस बात की है कि देशभर के सभी शैक्षणिक संस्थानों में शैक्षणिक व प्रशासनिक कार्य से जुड़े लोगों को स्टार्टअप कल्चर और प्रमोशन की पूरी जानकारी हो, जिससे कि वे न केवल छात्र-छात्राओं को इस दिशा में जागरूक करें, बल्कि उन्हें इस ओर अग्रसर होने को निरंतर प्रोत्साहित भी करें.
(hellomilansinha@gmail.com)
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