Sunday, July 14, 2019

मोटिवेशन : पढ़ने के साथ खेलना भी जरुरी

                                                    - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल स्पीकर... ....
सम्प्रति इंग्लैंड में आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप टूर्नामेंट चल रहा है. कुल दस टीमों - भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज, साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड के बीच 30 मई से प्रारंभ हुए इस क्रिकेट महाकुम्भ का समापन 14 जुलाई को होगा. विश्व के बड़े भूभाग में रहनेवाले लोग,  खासकर  विद्यार्थी  फिलहाल क्रिकेट का भरपूर आनंद ले रहे हैं. विद्यार्थियों के बीच वर्ल्ड कप क्रिकेट ही चर्चा एवं बहस का बड़ा मुद्दा है. सभी मैचों का लाइव टेलीकास्ट हो रहा है. प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सब जगह क्रिकेट वर्ल्ड कप से जुड़ी ख़बरों को प्रधानता दी जा रही है. भारत के नामचीन पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी - सचिन, गावस्कर, कपिलदेव, गांगुली, सहवाग, इरफ़ान, हरभजन, लक्ष्मण आदि न केवल क्रिकेट कमेंटरी कर रहे हैं, बल्कि इसी क्रम में क्रिकेट की बारीकियों पर  रोचक एवं जीवंत चर्चा भी कर रहे हैं. इससे क्रिकेट खेलनेवाले विद्यार्थियों को बहुत लाभ मिल रहा है. रोचक बात है कि इस समय ज्यादा बड़ी संख्या में देश के गांव-कस्बे तक में हर उम्र के विद्यार्थियों को क्रिकेट खेलते हुए देखा जा सकता है. हां, कमोबेश ऐसा माहौल सभी खेलों के बड़े आयोजनों के वक्त देखा जाता है, क्यों कि आम छात्र-छात्राओं में स्वभावतः खेलकूद के प्रति लगाव-जुड़ाव होता है. 

देशभर में सभी मनोवैज्ञानिक स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों को जीवन में सफल होने और स्वस्थ रहने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ नियमित रूप से खेलकूद में सक्रिय रूप से भाग  लेने का सुझाव देते हैं. ऐसा इस सच्चाई के मद्देनजर और भी जरुरी हो गया है कि हमारे देश में भी आजकल बहुत सारे  विद्यार्थी टाइम पास के रूप में या मनोरंजन के लिए कंप्यूटर या मोबाइल गेम में घंटों व्यस्त पाए जाते हैं. कई शोधों में इसे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पाया गया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ तो मानते हैं कि यह आदत विद्यार्थियों को कई  रोगों से ग्रसित कर रहा  है. इसी कारण वे अभिभावकों को बचपन से ही अपने बच्चों को इससे बचाने की सलाह  देते हैं. 

बहरहाल, ख़ुशी की बात है कि पहले की अपेक्षा अब केंद्र सरकार एवं ज्यादातर राज्य सरकारें खेलकूद को बढ़ावा तथा प्रोत्साहन देने के लिए कई सकारात्मक कदम उठा रही है. नतीजतन, स्कूल-कॉलेज -यूनिवर्सिटी में भी आउटडोर -इंडोर सभी खेलों का अपेक्षाकृत ज्यादा आयोजन हो रहा है और विद्यार्थियों की भागीदारी भी बढ़ रही है. लड़कियां भी अब ज्यादा संख्या में खेलकूद में भाग ले  रही हैं और राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन कर पदक भी जीत रही हैं. लेकिन विश्व के सबसे बड़े युवा आबादीवाले हमारे देश के लिए इस दिशा में अभी बहुत काम करने की जरुरत है. खेलकूद को विद्यार्थियों के जीवन का अहम हिस्सा बनाना आवश्यक है. 

विविधताओं से भरे हमारे देश में राष्ट्र को एक सूत्र में बांध कर रखने में खेलकूद की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है. सच कहें तो भाषा, धर्म, क्षेत्र एवं जाति से परे खेल के मैदान में देश की एकता का हमें हर बार पुख्ता प्रमाण मिलता है.  यह भी सब लोग अच्छी तरह जानते-समझते हैं कि खेलकूद का हमारे बच्चों और युवाओं के सर्वांगीण विकास में कितना सकारात्मक योगदान रहता है. स्कूल-कॉलेज के मैदान या अन्य किसी मैदान या खाली स्थान पर कबड्डी, फुटबॉल, हॉकी, क्रिकेट, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल आदि खेल में सुबह या शाम के समय का उपयोग एकाधिक मायनों में विद्यार्थियों के लिए फायदेमंद होता है. खेलने से शरीर में रक्त संचार तीव्र होता है, सारे अंग सक्रिय हो जाते हैं, आलस्य दूर होता है, बुद्धि कुशाग्र होती है  और विद्यार्थी रचनात्मकता व उत्साह से भर जाता है. एक बार बाहर खेलने में जो आनंद  मिलता है, उसकी आदत जब लग जाती है तब विद्यार्थी घर बैठे विडियो गेम आदि में अपना समय बर्बाद नहीं करते हैं. रोज कुछ अच्छा सीखने-सीखाने का सिलसिला भी चल पड़ता है. सामाजिक जुड़ाव एवं सदभाव भी बढ़ता है.

जाहिर-सी बात है कि योजना, कार्यन्वयन, समय प्रबंधन, टीम वर्क, आत्मविश्वास, समावेशी  सोच सरीखे महत्वपूर्ण लीडरशिप क्वालिटी विकसित करने का स्वर्णिम अवसर विद्यार्थियों को  खेल  के मैदान में अनायास ही मिल जाता है. उनको शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ बनाए रखने के अलावे नैतिक, बौद्धिक और भावनात्मक रूप से मजबूत एवं परिपक्व बनाने में स्पोर्ट्स का कोई जोड़ नहीं.  इसके अलावा यदि आपमें किसी खेल को लेकर जुनून है तो उसे भी निखरने का मंच मिल जाता है.                 (hellomilansinha@gmail.com) 

             और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं
   
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