-मिलन सिन्हा
पेड़ों से भरे पहाड़ी रास्ते से होकर अब हम हनुमान टोक से करीब 1200 फीट नीचे गणेश टोक के पास आ गए हैं. घुमावदार सीढ़ियों से चढ़ कर इस मंदिर तक पहुँचते हुए आप प्रकृति के विविध रूपों का गवाह बनेंगे, साथ ही मौका मिलेगा गंगटोक शहर के एक कुछ हिस्सों के विहंगम दृश्य से रूबरू होने का. इस गणेश मंदिर के पार्किंग स्थल के बिलकुल पास में आपको खाने-पीने की सामग्री मिल जायेगी और हस्तशिल्प की कुछ खूबसूरत वस्तुएं भी. कई सीनियर सिटीजन जो शारीरिक कारण से ऊपर मंदिर तक नहीं जा पाते हैं, नीचे पार्किंग स्थल से भगवान गणेश को प्रणाम कर लेते हैं और ईश्वर का आशीर्वाद पाने की अनुभूति से खुश हो जाते हैं. चाय-पानी और अन्य खरीदारी बाद में करते रहते हैं. ...आगे जारी...
...गतांक से आगे... गाड़ी बढ़ चली अब अगले पॉइंट- हनुमान टोक यानी हनुमान मंदिर की ओर. गंगटोक शहर से करीब 10 किलोमीटर की दूरी एवं समुद्र तल से करीब 7200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है यह खूबसूरत मंदिर. पार्किंग स्थल से मंदिर तक जाने के लिए सीढियां बनी है, जिसमें बीच-बीच में बैठने-सुस्ताने की व्यवस्था है. मंदिर के रास्ते में लगातार घंटियां लगी हैं, जिन्हें बजाते जाने पर ध्वनि की अदभुत गूंज-अनुगूंज से आप अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकते. सारा परिसर इतना साफ़-सुथरा एवं सुरुचिपूर्ण ढंग से सुसज्जित है कि आप स्वतः पूछ बैठेंगे कि ऐसा रख-रखाव तो सेना के देखरेख में ही संभव है. बिलकुल ठीक सोचा है आपने.
वर्ष 1968 से भारतीय सेना के माउंटेन डिवीज़न के जवान इस हनुमान मंदिर का रख-रखाव करते रहे हैं. इस स्थान से कंचनजंघा पर्वतमाला के अप्रतिम सौन्दर्य का आप आनन्द उठा सकते हैं. कहने की जरुरत नहीँ कि यहाँ आने पर आपको थोड़ा और रुकने का मन जरुर करेगा. लेकिन आगे और भी तो बहुत कुछ देखना है और घड़ी कहाँ तक आपको रुकने देगी. हाँ, एक और जानने योग्य बात. वर्षों से प्रचलित लोकमत के अनुसार राम-रावण युद्ध के दौरान आहत पड़े लक्ष्मण के लिए हिमालय से संजीवनी बुटी ले जाने के क्रम में हनुमान जी कुछ देर के लिए इस स्थान पर रुके थे.
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(hellomilansinha@gmail.com)
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
# साहित्यिक पत्रिका 'नई धारा' में प्रकाशित
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com
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