Wednesday, March 23, 2016

मोटिवेशन / प्रेरक प्रसंग : सम्मान बोध


                                                              - मिलन सिन्हा, मोटिवेशनल  स्पीकर .....
Image result for free photo of rammanohar lohiaहम अपने दैनंदिन जीवन में दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, उससे हमारे व्यक्तित्व का सही पता चलता है. यह तब और साफ़ हो जाता है जब हम समाज के वैसे लोगों से पेश आते हैं जो काम तो बहुत ही महत्वपूर्ण करते हैं, परन्तु वे बड़े ओहदे वाले नहीं होते. तो आइये इस प्रेरक प्रसंग के मार्फ़त जानते हैं कि कैसे देश के प्रखरतम समाजवादी  चिन्तक, विचारक व लोकप्रिय नेता  डॉ. राममनोहर लोहिया साधारण से साधारण आदमी को भी यथोचित सम्मान देते हुए उन्हें उनके काम की अहमियत से परिचित करवाते थे और अनायास ही अपने असाधारण व्यक्तित्व की झलक भी दिखला जाते थे.     

दरअसल, डॉ. लोहिया को गरीबों, दलितों और शोषितों के बीच रहने, उनकी समस्याओं को जानने –समझने एवं उनका हल ढूंढ़ने के लिए संघर्ष करने में आनन्द मिलता था. छोटे आदमी के लिए उनके दिल में बड़ा दर्द था. अतः जब भी उन्हें थोड़ा समय मिलता, वे सुदूर गांवों की ओर निकल पड़ते. ऐसा ही एक दौरा समाप्त करके वे एक दिन बिहार के सहरसा स्टेशन पर गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे. इस बीच एक गाड़ी आयी. डाकिए डाक के डिब्बे से डाक की थैलियां उतारने लगे. उसी समय शायद थैले का मुंह ढीला बंधा होने के कारण डाक का एक थैला खुल गया और कुछ चिट्ठियां प्लेटफार्म पर बिखर गयीं. वहीं टहल रहे लोहिया जी और उनके कुछ मित्रों का ध्यान उधर गया. मित्रगण टहलते हुए आगे बढ़ गये. जब कुछ क्षणों के बाद लोहिया जी को अपने साथ न पाकर मुड़े तो देखते क्या हैं कि लोहिया जी बैठकर जमीन पर बिखरी चिट्ठियों को बटोरने में डाकिया की मदद कर रहे हैं और पूरी आत्मीयता से यह भी कहते जा रहे हैं – ‘तुम कितने महत्वपूर्ण आदमी हो, शायद तुम्हें यह मालूम नहीं. देखो, इसमें न जाने कितनों के कितने अच्छे –बुरे सन्देश हैं जो तुम्हारे माध्यम से ही गरीब –अमीर सभी के पास पहुंचते हैं. अमीर व्यक्तियों को अगर खबर न भी मिले तो वे अन्य माध्यमों से सन्देश का आदान-प्रदान कर लेंगे, पर जरा सोचो, उस गरीब का क्या होगा जिसके लिए तुम्हीं सबसे उपयुक्त माध्यम हो. अब अगर तुम ही लापरवाह हो जाओ तो कितने लोग दुखी होंगे, कितनों का दिल टूट जायेगा.’

कहना न होगा, ऐसी बातों का जबरदस्त सकारात्मक असर वहां मौजूद हर किसी के दिलो –दिमाग पर होना लाजिमी था .

( लोहिया जी के जन्म दिन के अवसर पर )

               और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

Tuesday, March 22, 2016

आज की कविता: जल का कल ?

                                                                                           - मिलन सिन्हा 

Image result for free photo of water problem

जल का कल ?
‘जल’ ना 
तो फिर 
‘जलना’ होगा 
अंगारों पर 
चलना होगा 
देती जितना प्रकृति 
काफी है 
बस उसका 
सदुपयोग बाकी है 
याद रहे 
हर पल 
कैसे बचेगा 'कल' 
जब न होगा 'जल' !
(विश्व जल दिवस के अवसर पर )

                 और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं

Saturday, March 12, 2016

लघु कथा : शर्म

                                                                                  - मिलन सिन्हा 
    उस दिन प्लेटफार्म पर बहुत भीड़ थी . शाम हो चली थी. लड़के एक प्रतियोगिता परीक्षा देकर लौट रहे थे. दैनिक मजदूरों की संख्या भी कम न थी. ट्रेन आने की घोषणा हो चुकी थी. प्लेटफार्म पर अफरा –तफरी मची थी.

   ट्रेन प्लेटफार्म पर लगी तो लड़कों ने लपक कर सीट पर कब्ज़ा जमाया. मजदूरों एवं अन्य यात्रियों को नीचे बैठकर या खड़े रहकर संतोष करना पड़ा.

   गाड़ी चली तो आपसी बातचीत का सिलसिला भी जोर पकड़ा. राजनीति से लेकर फिल्मों तक की चर्चा चल पड़ी. तभी रमेश की नजर टी .टी बाबू पर पड़ी जो थोड़ी दूर पर टिकट चेक कर रहे थे. रमेश ने अन्य दो लड़कों को साथ लिया और उल्टी दिशा में चल पड़ा. भीड़ काफी थी. लोग खड़े भी थे, नीचे बैठे भी थे. रमेश एवं उसके साथियों को वहां से जल्दी खिसक जाने में दिक्कत हो रही थी. वे लोग नीचे बैठे यात्रियों पर झल्लाते हुए चले गये.

    इस बीच दूसरा स्टेशन आ गया. रमेश व उसके साथी नीचे उतर गये. गाड़ी जब फिर खुली  वे लोग फिर उसी डिब्बे में चढ़ गये. तब तक टी .टी बाबू  दूसरे डिब्बे में प्रवेश कर गये थे . अपने सीट तक जाने में उन्हें फिर असुविधा हो रही थी.

    रमेश ने अपने साथियों से कहा, ‘पता नहीं, आज यह टी .टी इस भीड़ में भी इस डिब्बे में क्यों आ गया ? बेमतलब की परेशानी हो गई.’ तभी रमेश का पांव एक मजदूर कमलू  से टकरा गया  और वह लड़खड़ा गया. कमलू की ओर रमेश ने गुस्से से देखा और कहा, ‘यह भी कोई बैठने की जगह है ? क्यों  बैठ जाते हो यहां तुम लोग ? उठो यहां से, शर्म  भी नहीं .....’


    कमलू अपनी जगह से नहीं हटा, अपितु बड़ी दृढ़ता के साथ उसने उत्तर दिया, ‘भाई, जैसे तुम लोग बिना टिकट शान से सीट पर बैठे हो, उसी तरह हमलोग टिकट खरीदकर इत्मीनान से यहां जमीन पर बैठे हैं. शर्म किसे आनी चाहिए, तुम खुद समझ लो.’   


   कुछ  क्षण के लिए चुप्पी छा गयी. रमेश और उसके साथी वहां से चुपचाप चले गए.


             और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं


# लोकप्रिय  अखबार , 'हिन्दुस्तान' में 14  मई , 1998  को प्रकाशित 

Friday, March 4, 2016

मोटिवेशन : अच्छी नींद और अच्छे आहार की जरुरत

                                                                - मिलन  सिन्हा,  मोटिवेशनल  स्पीकर .....               
सीबीएसइ की दसवीं तथा बारहवीं की परीक्षाएं भी प्रारंभ हो गयी हैं. छात्र–छात्राएं तैयारी में पूरी तरह जुटे हैं. अमूमन इस दौरान हम यह भी पाते हैं  कि अध्ययन के नार्मल रूटीन के साथ -साथ छात्र-छात्राओं की अन्य सामान्य दिनचर्या तक अस्त-व्यस्त हो जाती है. कहने का मतलब  यह  कि उन्हें न तो समय पर खाने की फ़िक्र रहती  है और न ही समय पर सोने  की,   जब  कि  परीक्षा की पूरी अवधि में  खाने और सोने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, जितना कि पढ़ने पर.  ऐसा  इसलिए कि यथासमय आहार व नींद से  दूर रहने पर वे पर्याप्त शारीरिक एवं मानसिक शक्ति से युक्त नहीं रह सकते हैं. इसके एक दुष्प्रभाव  के रूप में उनमें नकारात्मक विचारों में वृद्धि हो जाती है  और वे अचानक ही खुद को अनेक समस्याओं से घिरे पाते हैं; परीक्षा के दौरान बीमार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है; और फिर परीक्षा में बेहतर परफॉर्म करना कठिन हो जाता है.

नींद की महत्ता :

चिकित्सा विज्ञान कहता है कि रात में अपर्याप्त नींद के कारण हमारा स्वास्थ्य खराब हो जाता है. ऐसे लोगों का स्ट्रेस हॉर्मोन्स काफी बढ़ जाता है जिसके चलते वे एकाधिक रोगों की चपेट में आ जाते हैं. लिहाजा, रात में सात –आठ घंटा जरुर सोयें. रात की अच्छी नींद सुबह आपके लिए ताजगी, उमंग व उत्साह का उपहार लेकर आती है. हाँ, सोने से पहले  अपना  मोबाइल बंद कर लें तो उत्तम, नहीं तो कम से कम साइलेंट मोड पर जरूर कर लें. मोबाइल को सोने के स्थान से दूर रखें. एक और बात. ध्वनि तथा प्रकाश अच्छी नींद को बाधित करते हैं.  सोने से पहले इसका  ध्यान रखें तो बेहतर. मौका मिले तो दोपहर में भी थोड़ी देर (घंटा भर) सो लें – रीफ्रेशड फील करेंगे. ज्ञातव्य है कि अच्छी नींद को अनेक चिकित्सा विशेषज्ञों ने दवाइयों का महाराजा तक की उपाधि दी है. विलियम शेक्सपियर ने भी अपनी प्रसिद्ध कृति 'मैकबेथ' में  नींद की अहमियत को बखूबी रेखांकित किया है.

आहार है अहम :

सुबह के नाश्ते में  पहले एक चम्मच शहद लें. उसके बाद एक छोटी कटोरी भर अंकुरित चना, मूंग आदि के साथ थोड़ा-सा  गुड़, बादाम, किसमिस, अखरोट लें और उसे खूब चबा कर खाएं. नाश्ते में सत्तू , लिट्टी , चूड़ा–दही , रोटी-दाल /हरी सब्जी–सलाद, टोस्ट-ऑमलेट आदि लें. दोपहर के खाने में चावल या रोटी के साथ दाल, मौसमी हरी सब्जी, दही, सलाद का सेवन करें. अपने आहार  में मौसमी फलों – केला, पपीता, नारंगी, अमरुद, सेव आदि को भी शामिल करें. रात के खाने को सादा एवं सबसे हल्का रखें और  खाना जल्दी खा भी लें. सोने से पहले एक कप / गिलास  गुनगुने दूध पी कर सोयें. हाँ, जंक,बाजारू एवं प्रोसेस्ड चीजों से बचने की हरसंभव कोशिश करें. भोज, पार्टी आदि से दूर रहें. परीक्षा के दिन यथासंभव सादा एवं सुपाच्य भोजन करें, मसलन दाल –रोटी, दही –चूड़ा, खिचड़ी  आदि. शरीर को बराबर हाइड्रेटेड रखें, अर्थात  पानी पीते रहें.

कहना न होगा, छात्र –छात्राओं के साथ –साथ उनके अविभावकों को भी, खासकर इस अवधि में,  इन बातों पर पूरा ध्यान देना चाहिए, तभी वे परीक्षा के अच्छे फल की उम्मीद कर सकते हैं.

                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं