- मिलन सिन्हा
'अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस' के मौके पर देश -विदेश के सभी युवाओं को हार्दिक शुभकामनाएं ! पढ़ें आगे ....
....कहना न होगा, किसी देश का भविष्य तभी बेहतर हो सकता है, जब उस देश के युवाओं को बेहतर शिक्षा, ज्ञान , कौशल आदि के आधार पर सहज व उपयुक्त रोजगार उपलब्ध हों । लेकिन क्या हम अपने युवाओं के लिए ऐसा करना चाहते हैं और वाकई कर भी रहे हैं? आइये, देखें वस्तुस्थिति क्या है ?
हमारा देश विश्व का सबसे युवा देश है । भारत दुनिया का ऐसा देश है, जहां युवाओं की संख्या सबसे अधिक है । 2011 की जनगणना के अनुसार 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं के संख्या 33 करोड़ है, जो देश के कुल आबादी का 27.5 % है ।
गौरतलब है कि जहां भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी रहती है , वहीँ यह भी एक कड़वा सच है कि दुनिया में सबसे अधिक बेरोजगार युवा भी हमारे देश में हैं । इससे भी अधिक चिंताजनक विषय यह है कि युवाओं में जैसे-जैसे शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है, वैसे- वैसे ही बेरोजगारी की दर भी बढ़ रही है ।
बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े एवं राजनीतिक रूप से ज्यादा संवेदनशील, लेकिन औद्योगिक रूप से पिछड़ते जा रहे राज्यों में यह स्थिति और भी गंभीर है । फिर भी क्या इन प्रदेशों के राजनेताओं को वाकई इसकी चिंता है ?
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन द्वारा वर्ष 2009-10 के आंकड़ों के आधार पर जारी रपट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र के स्नातक डिग्रीधारी लड़कों में बेरोजगारी दर 16.6 % और लड़कियों में 30.4 % रही । शहरी क्षेत्रों के ऐसे युवकों में यह दर 13.8 % और युवतियों में 24.7 % दर्ज की गई । सेकेंडरी लेवल के सर्टिफिकेट धारक ग्रामीण इलाके के युवकों में बेरोजगारी दर 5 % और लड़कियों में करीब 7 % रही, जबकि शहरी क्षेत्रों के युवकों में बेरोजगारी दर 5.9 % और महिलाओं में 20.5 % पाई गई ।
बहरहाल आशा करते हैं, 'जी डी पी' ग्रोथ के साथ रोजगार के अवसर में आने वाले महीनों में उत्साहवर्धक सुधार होंगे .
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
No comments:
Post a Comment