-मिलन सिन्हा
आज रांची के एक बड़े स्कूल में एक कार्यक्रम के सिलसिले में जाने का मौका मिला. स्कूल के गेट पर तैनात गार्ड ने गाड़ी स्कूल के भीतर तब तक जाने नहीं दिया जब तक कि उन्हें ऊपर से अनुमति नहीं मिली. हमें पहले तो बुरा लगा कि हमें स्कूल प्रबंधन ने एक कार्यक्रम के लिए बुलाया है, फिर भी अन्दर जाने में इतनी परेशानी हो रही है. लेकिन बाद में सोचने पर गार्ड के कर्तव्यनिष्ठा की तारीफ़ किये बिना नहीं रह सका. स्कूल के हजारों बच्चों और स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं तथा अन्य कर्मियों की सुरक्षा-संरक्षा की जिम्मेदारी आखिर उन दो सुरक्षाकर्मियों पर ही तो है.
प्राचार्य के कक्ष के बाहर एक तरफ कई बच्चे मुंह झुकाए खड़े थे तो दूसरी ओर चार अभिभावक बैठे थे. सभी प्राचार्य से मिलने की अपनी बारी के इन्तजार में थे. कार्यक्रम शुरू होने में थोड़ी ही देर थे और कार्यक्रम से पहले एक बार प्राचार्य साहब से मिलना हमारे एजेंडे में था. सो, हमें जल्द ही चैम्बर में बुलाया गया. प्राचार्य साहब तपाक से मिले. हमने कार्यक्रम की संक्षिप्त जानकारी उन्हें दी. वे खुश हुए और हमारे साथ कार्यक्रम के लिए ऑडिटोरियम के ओर चल दिए. बाहर निकलने पर उनकी नजर पहले प्रतीक्षारत अभिभावकों पर पड़ी. उनसे क्षमा मांगते हुए उन्होंने उन लोगों से उप-प्राचार्य से मिलकर अपनी बात रखने को कहा और तुरत मोबाइल से उप-प्राचार्य से उस विषय पर बात भी की. अभिभावक संतोष का भाव लिए उप-प्राचार्य के कक्ष की ओर चले गए.
अब बारी मुंह झुकाए खड़े बच्चों की थी. अपने प्राचार्य को देखते ही बच्चों के चहरे पर भय का भाव तैरने लगा. प्राचार्य साहब ने सबको पास बुला कर बस इतना कहा कि क्यों यह शैतानी करते हो, पढ़ाई में मन लगाओ. अगली बार ऐसी शिकायत आई तो तुम सबके अभिभावक को बुलाना पड़ेगा. ऐसा न हो, इसका ध्यान रखो.
ऑडिटोरियम की ओर चलते हुए उन्होंने हमसे कहा कि बच्चे हैं, थोड़ी बहुत शैतानी अभी नहीं करेंगे तो कब करेंगे. बड़े हो कर करेंगे तो क्या अच्छा लगेगा. हमारा काम ही है इन्हें अच्छाई की ओर ले जाना. यह सब कहते हुए प्राचार्य के चेहरे पर मंद मुस्कान तैर गई, जो हमें खुश कर गया.
अब बारी मुंह झुकाए खड़े बच्चों की थी. अपने प्राचार्य को देखते ही बच्चों के चहरे पर भय का भाव तैरने लगा. प्राचार्य साहब ने सबको पास बुला कर बस इतना कहा कि क्यों यह शैतानी करते हो, पढ़ाई में मन लगाओ. अगली बार ऐसी शिकायत आई तो तुम सबके अभिभावक को बुलाना पड़ेगा. ऐसा न हो, इसका ध्यान रखो.
ऑडिटोरियम की ओर चलते हुए उन्होंने हमसे कहा कि बच्चे हैं, थोड़ी बहुत शैतानी अभी नहीं करेंगे तो कब करेंगे. बड़े हो कर करेंगे तो क्या अच्छा लगेगा. हमारा काम ही है इन्हें अच्छाई की ओर ले जाना. यह सब कहते हुए प्राचार्य के चेहरे पर मंद मुस्कान तैर गई, जो हमें खुश कर गया.
सच कहते हैं अच्छे लीडर के कार्यशैली की छाप संस्था के हर कर्मी पर दिखाई पड़ती है. गार्ड की बात तो कर ही चुके हैं हम, क्यों?
और भी बातें करेंगे, चलते-चलते । असीम शुभकामनाएं।
#For Motivational Articles in English, pl. visit my site : www.milanksinha.com